भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन (चित्र में) ने आज कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2024-25 तक 9 प्रतिशत बढ़ोतरी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसमें सार्वजनिक व्यय, सुधारों और टीकाकरण की मुख्य भूमिका होगी।
सीआईआई के अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद नरेंद्रन पहली बार आभासी बैठक के माध्यम से मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘कोरोना की दो लहरों का आमदनी और ग्राहकों की धारणा पर असर पड़ा है। साथ ही दूसरी लहर में परिवारों का दवाओं पर व्यय बढ़ा है। इससे कुछ समय तक उपभोक्ताओं की मांग पर असर पड़ सकता है। अर्थव्यवस्था के फिर से खुल जाने के बाद सरकार को दो रणनीतियों पर चलने की जरूरत होगी, जिसमें खपत बढ़ाना और मांग उचित स्तर तक पहुंचने तक उद्योग को समर्थन देना शामिल है।’
सीआईआई ने अनुमान लगाया है कि 2021-22 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहेगी।
टाटा स्टील लिमिटेड के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक नरेंद्रन ने कहा, ‘मोबिलिटी इंडिकेटर्स, ट्रैफिक कंजेशन इंडेक्स और रोजाना की रेल यात्रियों की आवाजाही में हाल की बढ़ोतरी से हमें लगता है कि इस साल 9.5 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल हो जाएगी।’ सीआईआई ने सरकार से प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण के साथ 3 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन देने का अनुरोध किया है, जिससे घरेलू मांग बढ़ाई जा सके। साथ ही सीआईआई ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की बैलेंस शीट में विस्तार की भी मांग की है, जिससे महामारी की बढ़ी जरूरतों को पूरा किया जा सके।
सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने आज इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) को बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपये करने व योजना की अवधि बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 तक करके उद्योग को समर्थन देने की मांग की है। साथ ही उद्योग संगठन ने खुदरा क्षेत्र जैसे ज्यादा दबाव वाले क्षेत्रों को इसमें शामिल किए जाने की भी मांग की है। आगे उन्होंने यह भी सलाह दी कि लंबे समय से लंबित ढांचागत कर सुधारों जैसे एटीएफ व अन्य ईंधन उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने पर भी विचार किया जाना चाहिए।
कारोबार फिर से खुलने पर उनकी कर्ज संबंधी जरूरतें निश्चित रूप से पूरी की जानी चाहिए और वित्तीय क्षेत्र को महामारी की वजह से बनी गैर निष्पादित संपत्तियों का भार सहने में सक्षम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक महामारी पूल नाम से कोष बनाया जाना चाहिए, जिससे कि भविष्य की महामारियों से नुकसान के जोखिम की भरपाई की जा सके।
सीआईआई ने टीकाकरण को तेज करने के लिए भी कई कदमों के सुझाव दिए हैं। नरेंद्रन ने टीकाकरण में गति लाने के लिए एक अधिकार प्राप्त मंत्री की नियुक्ति करने का सुझाव दिया है, जिससे कि ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण, टीके की खरीद और राज्यों को उसके वितरण का काम सुचारु रूप से वैज्ञानिक दायरे में हो सके और रोजाना के आधार पर इसकी निगरानी की जा सके। सीआईआई के अनुमान के मुताबिक जून से दिसंबर 2021 तक रोजाना करीब 71 लाख टीकाकरण की जरूरत है, जिससे सभी वयस्कों को टीके की कम से कम एक खुराक लग सके। इसके लिए टीके की उपलब्धता निश्चित रूप से दोगुनी करने की जरूरत है।
सीआईआई ने कहा कि सरकार को सभी आवश्यक लाइसेंसिंग जरूरतों को तेज करना चाहिए और खरीद के लिए अग्रिम भुगतान करना चाहिए और साथ ही उत्पादन बढ़ाने के लिए पूंजीगत सब्सिडी मुहैया कराई जानी चाहिए। संगठन ने अनुरोध किया है कि टीके के आईपी मालिकों को तकनीक हस्तांतरण के साथ बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिए लाइसेंस जारी करना चाहिए।
कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए नरेंद्रन ने जिला प्रशासन और निजी क्षेत्र के साझेदारों से अपील की कि ग्रामीण इलाकों में कोविड केयर सेंटर बनाए जाने चाहिए। इसके लिए मुफ्त जमीन, पूर्व मंजूरियां और कर लाभ दिया जाना चाहिए।