भारत ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। इसका पता इस बात से चलता है कि कोयला आयात में वार्षिक वृद्धि पिछले एक दशक में वित्त वर्ष 2023-24 तक घटकर 2.49 प्रतिशत रह गई है।
कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2004-05 से 2013-14 तक कोयला आयात की संचयी वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 21.48 प्रतिशत रही। हालांकि, 2014-15 से 2023-24 तक कोयला आयात की सीएजीआर केवल 2.49 प्रतिशत रही है।
बयान के अनुसार, “इसके अलावा, वित्त वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान आयातित कोयले की हिस्सेदारी का सीएजीआर 13.94 प्रतिशत था। जबकि, पिछले दशक के दौरान यह आंकड़ा गिरकर शून्य से नीचे लगभग 2.29 प्रतिशत हो गया।”
मंत्रालय ने बयान में कहा कि घरेलू कोयला संसाधनों के अनुकूलन और नवीन तकनीकी समाधानों का लाभ उठाने पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करते हुए देश ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर अपनी यात्रा जारी रख रहा है।
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बयान के अनुसार, विश्व में पांचवें सबसे बड़े कोयला भंडार से संपन्न भारत इस ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
एक आधिकारिक बयान में उस समय कहा गया था, “थर्मल पावर प्लांटों में अब तक का सबसे अधिक कोयला भंडार उपलब्ध है। बिजली की अत्यधिक ऊंची मांग के बावजूद, थर्मल पावर प्लांट में कोयले का भंडारण मजबूत बना हुआ है। यह 16 जून, 2024 तक 4.5 करोड़ टन से अधिक है, जो पिछले वर्ष की इसी तारीख के 3.45 करोड़ टन की तुलना में 31.71 प्रतिशत अधिक है।”’