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आयोग को लगा बिजली का झटका

Last Updated- December 10, 2022 | 8:05 PM IST

बिजली के मसले पर  योजना आयोग और विद्युत मंत्रालय के बीच टकराव शुरू हो गया है। आयोग ने मंत्रालय को उसके हिस्से की बची बिजली खुले बाजार में बेचने का सुझाव दिया था, लेकिन मंत्रालय को यह मशविरा बिल्कुल भी नहीं भा रहा है और दोनों इस मसले पर आमने सामने आ रहे हैं।
देश भर में जो बिजली बनती है, उसका 15 फीसदी हिस्सा मंत्रालय के पास रहता है और उसे अपनी मर्जी से खर्च करने का अधिकार भी उसके पास होता है। मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने में ही आम तौर पर सरकार इस बिजली का इस्तेमाल करती है।
जिस राज्य के पास बिजली की किल्लत होती है, उसे इसी कोटे में से बिजली दे दी जाती है। लेकिन आयोग इस कोटे से भी राजस्व कमाने की जुगत सरकार को बता रहा है।
आयोग का कहना है कि जो उपभोक्ता 1 मेगावाट से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए मंत्रालय अपने कोटे से बिजली खुले बाजार में बेचे। उसके मुताबिक मंत्रालय को इस कोटे की एक चौथाई बिजली खुले बाजार में बेच देनी चाहिए।
लेकिन मंत्रालय का कहना है कि ऐसा करने से उसे राज्यों को बिजली देने में मुश्किलें पेश आएंगी। उसके मुताबिक इस बिजली को खुले बाजार में बेचने से राज्यों को उनकी जरूरत के हिसाब से बिजली आवंटित करने के मामले में उसके हाथ बंध जाएंगे।
पूर्व कैबिनेट सचिव और योजना आयोग के सदस्य बी के चतुर्वेदी को इस मामले में आयोग के पैनल का प्रमुख बनाया गया है।

वह कहते हैं, ‘यह बिजली खुले बाजार में बेचने पर मंत्रालय की आपत्तियां हैं। हमें लगता है कि जैसे-जैसे बिजली उत्पादन बढ़ेगा और राज्यों को दूसरे पूल से भी बिजली मिलने लगेगी, तब केंद्र सरकार को राज्यों को कम बिजली देनी होगी।’ 
इस मामले में आयोग भी कदम पीछे हटाता नहीं दिख रहा है। कहा जा रहा है कि चतुर्वेदी इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय में गुहार लगा रहे हैं। वह इस बात की तस्दीक भी करते हैं। उन्होंने कहा ‘मैं इस मामले में प्रधानमंत्री को पत्र भेज रहा हूं।’
विद्युत अधिनियम 2003 इस बात की इजाजत देता है कि जो उपभोक्ता 1 मेगावाट से अधिक बिजली की खपत करते हैं, वे खुले बाजार से बिजली खरीद सकते हैं। 

अभी तक खुले बाजार के जरिये 17,000 मेगावाट बिजली खरीदने के लिए आवेदन आ चुके हैं। केंद्रीय बिजली नियमन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक केंद्र के पास इसके लिए केवल 1,400 मेगावाट बिजली है उसमें भी ज्यादातर कैप्टिव पावर है।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र का कहना है, ‘राज्य के नियामकों की वजह से इस मामले में पहले से ही देरी हो चुकी है। अब विद्युत मंत्रालय के विरोध से इसमें और देरी हो जाएगी।’ इस मामले में हाई क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज की वजह से भी देरी हो रही है। अगर कोई उपभोक्ता अपने मौजूदा बिजली आपूर्तिकर्ता की बजाय किसी और से बिजली लेना शुरू करता है तब उसको यह सरचार्ज देना पड़ता है।
चतुर्वेदी कहते हैं, ‘राज्यों के नियामकों ने क्रॉस सब्सिडी सरजार्ज इतना महंगा कर रखा है जिसकी वजह से उपभोक्ता अपने आपूर्तिकर्ता को बदलने से परहेज कर रहे हैं।’
योजना आयोग ने कहा केंद्र अपने हिस्से की बिजली को बेचे खुले बाजार में
विद्युत मंत्रालय ने योजना आयोग के प्रस्ताव के खिलाफ ठोक दी है ताल
मंत्रालय को लगता है कि इससे राज्यों को बिजली देने में उसे आएगी मुश्किल
आयोग मामला लेकर पहुंच गया है प्रधानमंत्री कार्यालय के दरवाजे पर
विद्युत अधिनियम 2007 के तहत खुले बाजार में बिजली बेचने की मिलती है अनुमति
खुले बाजार से 17,000 मेगावाट बिजली खरीदने के आ चुके हैं आवेदन 

First Published - March 15, 2009 | 10:05 PM IST

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