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चौथी तिमाही में चालू खाता अधिशेष

Last Updated- December 15, 2022 | 5:34 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा है कि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में भारत का चालू खाता अधिशेष में बदल गया, क्योंकि कारोबारी घाटा कम हुआ है। चालू खाता संतुलन (सीएबी) वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में 0.6 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद का 0.1 प्रतिशत अधिशेष में बदल गया जबकि पिछले साल 4.6 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.7 प्रतिशत घाटा था जबकि 2019-20 की तीसरी तिमाही में 2.6 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.4 प्रतिशत घाटा हुआ था। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘2019-20 की चौथी तिमाही में चालू खाते में अधिशेष की प्राथमिक वजह पिछले साल की तुलना में 35 अरब डॉलर का कम कारोबारी घाटा और शुद्ध अदृश्य प्राप्तियों में तेज बढ़ोतरी होकर 35.6 अरब डॉलर रहना है। ‘
हालांकि पूरे साल का चालू खाते का घाटा (सीएडी) 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद का 0.9 प्रतिशत रहा, जो 3018-19 में जीडीपी का 2.1 प्रतिशत था। 2019-20 में कारोबारी घाटा कम होकर 157.5 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 180.3 अरब डॉलर था।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चालू खाता अधिशेष आश्चर्यजनक है, क्योंकि वह उम्मीद कर रही थीं कि चौथी तिमाही में घाटा 5.5 से 6.6 अरब डॉलर या जीडीपी का 0.8 प्रतिशत रहेगा।
नायर ने कहा कि आयात की तुलना में वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात तेजी से सामान्य होने, कच्चे तेल के दाम में स्थिरता, त्योहारी में सोने की मांग बहाल होने और आर्थिक अनिश्चितता के कारण विदेश से आने वाले धन (रेमिटेंस) में कुछ कमी के कारण भारत का चालू खाता अधिशेष 20 से 22 अरब डॉलर रहने की उम्मीद कर रही थीं।
सालाना आधार पर कंप्यूटर और ट्रैवल सर्विश से शुद्ध कमाई में बढ़ोतरी के कारण सेवा से शुद्ध प्राप्तियां बढ़ी हैं। निजी स्थानांतरण प्राप्तियां, मुख्य रूप से विदेश मे नियुक्त भारत के कर्मचारियों द्वारा भेजा गया धन बढ़कर 20.6 अरब डॉलर हो गया है, जो पिछले साल की तुलना में 14.8 प्रतिशत ज्यादा है। प्राथमिक आय खाते से शुद्ध निकासी एक साल पहले के 6.9 अरब डॉलर से घटकर 4.8 अरब डॉलर रह गई है।
शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 12 अरब डॉलर था, जो एक साल पहले की चौथी तिमाही के 6.4 अरब डॉलर की तुलना में ज्यादा है। डेट व इक्विटी बाजारों में शुद्ध बिक्री के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) 13.7 अरब डॉलर घटा है, जो एक साल पहले 2018-19 की चौथी मिताही में 9.4 अरब डॉलर बढ़ा था। भारत के वाह्य वाणिज्यिक उधारी के खाते में शुद्ध प्रवाह 9.4 अरब डॉलर था, जो  एक साल पहले 7,2 अरब डॉलर था।
केंद्रीय बैंक ने कहा है, ‘कोविड-19 से जुड़ी अनिश्चितता के कारण ‘अन्य पूंजी’ के तहत शुद्ध प्रवाह इस तिमाही के दौरान बढ़ा है।’
पूरे 2019-20 के दौरान शुद्ध एफडीआई 43 अरब डॉलर रहा, जो 2018-19 में 30.7 अरब डॉलर था। पोर्टफोलियो निवेश 2019-20 में 1.4 अरब डॉलर बढ़ा है, जबकि पिछले साल 2.4 अरब डॉलर निकला था। रिजर्व बैंक ने कहा कि 2019-20 में विदेशी मुद्रा भंडार 59.5 अरब डॉलर बढ़ा है। भारत का बाहरी कर्ज वित्त वर्ष 2019-20 के आखिर में 558.5 अरब डॉलर था, जिसमें मार्च 2019 के अंत की तुलना में 15.4 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। भारतीय रुपये व अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की तुलना में तेजी के कारण साल के दौरान देश को 16.6 अरब डॉलर मूल्यांकन लाभ हुआ है। मूल्यांकन प्रभाव को निकालकर बाह्य उधारी में बढ़ोतरी 32 अरब डॉलर रही है। रिजर्व बैंक ने कहा, ‘बाहरी उधारी में वाणिज्यिक उधारी सबसे बड़ा हिस्सा बना हुआ है, जिसकी हिस्सेदारी 39.4 प्रतिशत है। उसके बाद प्रवासी भारचीयों का जमा 23.4 प्रतिशथ और कम अवधि के कारोबारी कर्ज की हिस्सेदारी 18.2 प्रतिशत है।’
मार्च 2020 के अंत तक एक साल से ज्यादा परिपक्वता के साथ कुल कर्ज 451.7 अरब डॉलर था, जो सालाना आधार पर 17 अरब डॉलर ज्यादा है। कम अवधि के कर्ज की हिस्सेदारी, जो एक  साल  से कम परिपक्वता वाली है, कुल बाहरी उधारी में घटकर 19.1 प्रतिशत रह गई है, जो मार्च 2019 के अंत में 20 प्रतिशथ थी। विदेशी मुद्रा भंडार और कम अवधि के कर्ज का अनुपिात 2019-20 में गिरकर 22.4 प्रतिशत रह गया है, जो 2018-19 में 26.3 प्रतिशत था।

First Published - July 1, 2020 | 12:12 AM IST

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