सरकार मानव हस्तक्षेप के बिना (फेसलेस) कर आकलन योजना में बदलाव की संभावना पर विचार कर रही है। इसकदम का मकसद 200 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले प्रमुख करदाताओं को छूट देना है, जिसमें वे अपनी मर्जी से फेसलेस या क्षेत्राधिकार आकलन को अपना सकते हैं।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कराधान और पूंजी लाभ जैसे क्षेत्रों से संबंधित मामलों को कर विभाग के अंतर्गत विशेषज्ञ टीम द्वारा देखा जाएगा और जरूरत पडऩे पर जटिल मामलों को पहले की तरह क्षेत्राधिकार आकलन अधिकारी के पास भेजा जाएगा। इसके साथ ही फेसलेस आकलन के दौरान स्थानीय और क्षेत्रीय सीमाओं की अड़चनों को दूर करने पर भी चर्चा की गई।
मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी सूत्र ने बताया, ‘वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग को उद्योग के हितधारकों से इस तरह के कई सुझाव प्राप्त हुए हैं। हम प्रत्येक प्रस्ताव के गुण-दोष का मूल्यांकन कर रहे हैं और देख रहे हैं कि इसमें किसी बदलाव की गुंजाइश है या नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘फेसलेस योजना अभी आकार ले रही है, ऐसे में इसे करदाताओं के लिए व्यावहारिक बनाने पर लगातार काम करने की जरूरत है। इस योजना का मकसद भ्रष्टाचार खत्म करना और करदाताओं की असुविधा दूर करना है।’
पिछले साल शुरू की गई इस योजना पर करदाताओं द्वारा कई प्रकार की चिंता जताए जाने के बाद चर्चा शुरू की गई है। कुछ करदाताओं ने तो फेसलेस व्यवस्था को अदालत में भी चुनौती दे डाली है। शीर्ष करदाताओं को लचीलापन प्रदान करने पर उक्त सूत्र ने कहा कि 200 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले जटिल मामलों पर चर्चा की गई है। उन्होंने कहा कि केवल 1 से 1.5 लाख मामलों को सालाना जांच के लिए लिया जाता है, जो कुल करदाता आधार का करीब 0.5 फीसदी हैं और इनमें ही ज्यादातर जटिल मामले होते हैं।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि नई व्यवस्था का मकसद ऐसे मामलों का त्वरित और प्रभावी समाधान करना है। हालांकि फेसलेस आकलन योजना के कारण कुछ मामलों में देरी हो रही है और करदाताओं को असुविधा भी हो रही है। लेकिन सुझावों की व्यवहार्यता देखने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। छोटे करदाताओं को इस तरह का लचीलापन देने का भी विचार आया है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक अन्य अधिकारी ने कहा कि आकलन अधिकारियों को अपने क्षेत्राधिकार के भीतर विशिष्ट विषयों में विशेषज्ञता हासिल होती है। उदाहरण के लिए अधिकांश आईटी कंपनियां बेंगलूरु में हैं। ऐसे में वहां के कर अधिकारी अंतरराष्ट्रीय कराधान के मामलों को देखने में ज्यादा माहिर होते हैं।
इसी तरह मुंबई के कर अधिकारी पूंजीगत लाभ कर के मामलों को बेहतर तरीके से समझ और निपटा सकते हैं क्योंकि शहर में स्टॉक एक्सचेंज और ब्रोकर काफी ज्यादा हैं। एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘आकलन अधिकारियों के व्यावहारिक अनुभव के आधार पर राजस्व विभाग यह देखता है कि किसी मामले को विशेषज्ञ टीम को देना चाहिए या दूसरे आकलन अधिकारी को सौंपना चाहिए।’ आकलन अधिकारियों के मामले में करदाताओं को कई स्थानीय और क्षेत्रीय चुनौतियों का भी सामना करना होता है।