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राजकोषीय घाटे में होगा इजाफा

Last Updated- December 15, 2022 | 8:09 PM IST

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से आज कहा कि जिस तरह के हालात हैं, उनमें 2020-21 में केंद्र का राजकोषीय घाटा बजट लक्ष्य से 1.7 से 1.8 फीसदी अधिक रह सकता है। बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 फीसदी तक समेटने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी में खासी गिरावट आएगी। अगर 10 फीसदी नॉमिनल जीडीपी वृद्धि का अनुमान बरकरार रखा जाता है तो घाटे में इतना इजाफा होने पर चालू वित्त वर्ष में कुल राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.2-5.3 फीसदी पर पहुंच सकता है।
सुब्रमण्यन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा, ‘सरकारी उधारी में करीब 50 फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। इसे देखते हुए इस वक्त यह कहना सही होगा कि राजकोषीय घाटा बजट में निर्धारित 3.5 फीसदी के लक्ष्य से 1.7 या 1.8 फीसदी अधिक रह सकता है।’ लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी, देशबंदी और अर्थव्यवस्था तथा देश की वित्तीय स्थिति पर इनके प्रभाव के बारे में अनिश्चितता होने के कारण अन्य अनुमानों की तरह घाटे का अनुमान भी बार-बार बदल सकता है।
केंद्र ने वित्त वर्ष 2021 में बजट के प्रावधान से 4.2 लाख करोड़ रुपये अधिक उधारी लेने का फैसला किया है, जिससे उसकी कुल उधारी बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। राज्यों को 4.3 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाने की गुंजाइश दी गई है। केंद्र ने राज्यों को जीएसडीपी की पांच फीसदी तक रकम उधार लेने की इजाजत दे दी है, जिसकी सीमा पहले तीन फीसदी ही थी।
उधारी का इस्तेमाल खर्च और राजस्व का अंतर पूरा करने में किया जाता है। केंद्र और राज्यों को इस बार बहुत कम राजस्व प्राप्त हो रहा है और महामारी के कारण उनका खर्च बढ़ रहा है। ऐसे में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन समेत ज्यादातर विशेषज्ञों को लगता है कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सरकार (केंद्र एवं राज्य) का राजकोषीय घाटा दो अंकों तक पहुंच जाएगा। राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) प्रणाली के तहत इसका छह फीसदी से कम रहना जरूरी है। वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.6 फीसदी रहा था, जबकि बजट अनुमान 3.3 फीसदी और संशोधित अनुमान 3.8 फीसदी था। यह एफआरबीएम अधिनियम के तहत मिली 0.5 फीसदी की छूट को भी पार कर गया था।
जब सुब्रमण्यन से अप्रैल-जून तिमाही और वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि के बारे में उनका अनुमान पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘पहली तिमाही में निश्चित रूप से आर्थिक वृद्धि गिरेगी। इसमें कोई संदेह नहीं है और गिरावट अच्छी-खासी होगी।’  
सुब्र्रमण्यन ने कहा, ‘लॉकडाउन के शुरुआती हफ्तों में हम मान रहे थे कि इस वर्ष जीडीपी में 1.5 से 2 फीसदी की वृद्घि होगी। लेकिन अब मुझे लगता है कि इसमें और भी गिरावट आएगी। गिरावट के खतरे कितने अधिक हैं, इसका पता दूसरी छमाही में होने वाले सुधार से लेगा।’
बहुत से विश्लेषकों, अर्थशास्त्रियों, रेटिंग एजेंसियों और बैंकों ने चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में भारी गिरावट की आशंका जताई है। भारतीय स्टेट बैंक के सौम्य कांति घोष जैसे कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में 6.8 फीसदी तक गिरावट आ सकती है।

First Published - June 5, 2020 | 10:57 PM IST

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