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उजड़े चमन में खिल गए उम्मीदों के फूल

Last Updated- December 11, 2022 | 3:16 AM IST

हर कोई इस वक्त मंदी के दौर के जल्द से जल्द बीतने की दुआ कर रहा है।
वैसे तो कोई भी इस बात को पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि मंदी का काला साया आखिर कब तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को बेहाल करके रखेगा। लेकिन यूबीएस के ताजा सूचकांक के मुताबिक मंदी का दौर इसी साल जून के महीने में हवा होने वाला है।
यूबीएस द्वारा तैयार प्रमुख आर्थिक सूचकांक इंडेक्स (एलईआई) मार्च 2009 में लगातार तीसरे महीने बढ़ा है। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि औद्योगिक गतिविधियों मे तेजी आई है और जल्द ही हालात सुधरने लगेंगे।
दिसंबर में बैंक का इंडेक्स -2.08 के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था। मार्च 2009 में इंडेक्स बढ़कर 2.1 फीसदी पर पहुंच गया है। यूबीएस के अर्थशास्त्री फिलिप व्याट कहते हैं, ‘सूचकांक में तेजी काफी मायने रखती है। इसके नतीजों से हमें लगता है कि जून 2009 तक आर्थिक मोर्चे पर बढ़िया खबरें आने लगेंगी।’
यूबीएस का प्रमुख सूचकांक आठ सूचकों पर आधारित होता है जिसमें नकदी प्रवाह में बढ़ोतरी, सरकारी प्रयासों में तेजी और करेंसी जोखिम प्रीमियम जैसे सूचक शामिल हैं। यूबीएस ने आर्थिक हालात पटरी पर आने के बाद इसमें निरंतरता बने रहने का भरोसा भी जताया है। बैंक ने इसकी वजह फंसे हुए कर्जों में आने वाली कमी और क्षमता के हिसाब से उत्पादन जैसी चीजों को बताया है।
यूबीएस ने यह आंकड़े ऐसे वक्त में जारी किए हैं जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वर्ष 2009 के लिए अपने अनुमान में संशोधन करके उसे पहले से कम आंका है। अपने पहले अनुमान में कोष ने वर्ष 2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के 0.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ने की बात की थी लेकिन कुछ दिन पहले ही उसने अपने पहले के अनुमान में संशोधन कर 4.5 फीसदी का नया अनुमान लगाया है।
कई देशों के शीर्ष सरकारी अधिकारियों के आकलन के मुताबिक भी सितंबर 2009 से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के वापस पटरी पर आने की उम्मीद जताई गई है लेकिन यूबीएस का अनुमान उन सभी के आकलन से पहले ही बेहतर वक्त आ जाने की बात कह रहा है।
यूबीएस ने कर्ज देने और विदेशी संस्थागत निवेशकों जैसे सूचकों का भी रिपोर्ट में संज्ञान लिया है। बैंकों के पास पूंजी की उपलब्धता को बैंक ने एम वन का नाम दिया है। एम वन सूचक  नवंबर के 1.9 फीसदी से बढ़कर मार्च में 7.2 फीसदी हो गया है। इसकी वजह महंगाई दर में कमी आने को बताया जा रहा है।
इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेश भी फरवरी 2009 की तुलना में मार्च में 0.5 अरब डॉलर बढ़ा है। रिपोर्ट कहती है, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के मामले में हमारा अनुमान है कि इस साल की दूसरी छमाही में हालात काफी बेहतर हो जाएंगे और अगले साल तक सब कुछ सही हो जाएगा। हमें उम्मीद है कि इस साल भारतीय शेयर बाजार बढ़िया प्रदर्शन करेंगे और ऑटो, धातु, बैंक और रियल एस्टेट जैसे कई क्षेत्र काफी बढ़िया करेंगे।’

First Published - April 28, 2009 | 8:11 AM IST

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