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अंधेरे में भी दिखा सुनहरा भारत

Last Updated- December 08, 2022 | 3:42 AM IST

नई दिल्ली का पांच सितारा होटल ताज पैलेस उद्योग जगत के दिग्गज और देश-दुनिया के नीतिकारों से जगमगा रहा था।  


मौका था-विश्व आर्थिक मंच और सीआईआई की ओर से आयोजित भारत आर्थिक सम्मेलन का। मंदी के बीच आयोजित इस सम्मेलन में कारोबारी जगत के दिग्गजों ने सुनहरे भारत की उम्मीद जताई और कहा कि मांग में बढ़ोतरी होगी और कंपनियां अपनी विस्तार योजनाओं को सिरे चढ़ा लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराएगी। बजाज ऑटो के उपाध्यक्ष मधुर बजाज ने कहा कि प्रतिकूल परिस्थिति में भी भारत में पर्याप्त संभावनाएं हैं।

सीआईआई के अध्यक्ष और आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक के.वी. कामत ने कहा कि इस साल भारत की विकास दर 7 फीसदी रहेगी, जबकि अगले साल विकास दर 6 फीसदी रहने की उम्मीद है। डेलायेट ग्लोबल के सीईओ जेम्स एस. क्यूग्ले ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में 6 फीसदी विकास दर भारत के लिए सही है।

ब्रिटिश टेलीकॉम के मुख्य तकनीकी अधिकारी मैट ब्रोस ने कहा कि कंपनी को दुनियाभर में अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करनी पड़ रही है, जबकि भारत में दूरसंचार उद्योग विकास कर रहा है। लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ए.एम. नाइक ने कहा कि आने वाले समय में कंपनी देश में 10,000 लोगों को रोजगार मुहैया करा सकती है। रविवार को शुरू हुए तीन दिवसीय 24वें भारतीय आर्थिक सम्मेलन में 35 देशों के करीब 800 कारोबारी दिग्गजों ने शिरकत की।

अमेरिकी और जर्मनी जैसे विकसित देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा रही है। अक्टूबर माह में चीन का औद्योगिक उत्पादन घटा है, अमेरिकी ऑटो कंपनियां ग्राहकों की राह ताक रही हैं। दिग्गज कंपनियों में छंटनी की तलवार चल रही है। बावजूद इसके भारत के आर्थिक प्रबंधक आशान्वित हैं कि आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहेगी, जो उम्मीद जगाती है।

सत्यम कंप्यूटर के चेयरमैन रामालिंगम राजू ने कहा कि मौजूदा हालात से दुनिया को ज्ञान और तकनीक ही बाहर निकाल सकती है। कठोर और पारदर्शी कदम उठाएंगे महारथी देश आर्थिक संकट का सामना कर रहे विश्व नेताओं ने अर्थव्यवस्थाओं को इस संकट से उबारने और वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए कठोर और महत्वपूर्ण कदम उठाने पर सहमति जताई है।

साथ ही गहराते संकट से मुकाबला करने के लिए तरलता उपलब्ध कराने एवं वित्तीय संस्थानों में सुधार की पहल करने पर भी हामी भरी गई। इस सम्मेलन में शक्ति संतुलन में बदलाव देखने को मिला, जिसमें भारत और चीन जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की बातों को अहमियत दी गई।

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश द्वारा आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कोई भी संगठन बहुपक्षीय होना चाहिए, जिसमें आर्थिक बदलाव दर्ज करने वाले देशों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होना चाहिए।      

First Published - November 17, 2008 | 3:59 AM IST

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