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शहरी रोजगार पर सरकार का जोर

Last Updated- December 15, 2022 | 4:26 AM IST

कोविड महामारी की वजह सेे आई आर्थिक नरमी को दूर करने के प्रयास में जुटी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रोजगार सृजन की है। इसी क्रम में नरेंद्र मोदी सरकार देश के शहरी और उप नगरीय इलाकों में गरीबों और प्रवासियों के लिए एक रोजगार योजना लाने पर विचार कर रही है। अभी इस बारे में आंतरिक स्तर पर विचार-विमर्श चल रहा है। शहरी युवाओं के लिए प्रस्तावित योजना प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले महीने शुरू किए गए गरीब कल्याण रोजगार अभियान की तर्ज पर शुरू की जा सकती है या मनरेगा पर आधारित शहर-केंद्रित योजना आ सकती है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘शहरी इलाकों में रोजगार पर हमारा खास ध्यान है क्योंकि आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हो रही हैं। हम रोजगार सृजन के लिए ‘रर्बन’ या शहरी कार्यक्रम पर विचार कर रहे हैं। हालांकि शहरी आजीविका मिशन पहले से ही चल रहा है। ऐसे में इस योजना का विस्तार किया जा सकता है या भी नई योजना आ सकती है या दोनों योजनाओं को मिलाया जा सकता है।’ अधिकारी ने कहा कि इस तरह की योजना की घोषणा साल की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुधार के लिए घोषित होने वाले उपायों के तहत की जा सकती है। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा ग्रामीण योजनाओं के विस्तार के लिए भी वित्तीय मदद बढ़ाई जा सकती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है, वहीं शहरी अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की जरूरत है।’ इस हफ्ते की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का अगुआ बना हुआ है और आगे भी मदद के सभी विकल्प खुले हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने बुधवार को कहा था कि वित्तीय उपायों की अगली घोषणा कोविड-19 का टीका आने के बाद की जा सकती है। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य आशिमा गोयल ने पिछले महीने व्यक्तिगत हैसियत से कहा था, ‘लॉकडाउन में ढील के बाद लोग बाहर निकल रहे हैं और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या बुनियादी ढांचे पर खर्च से मांग को सीधे प्रोत्साहन मिल सकता है। मेरी व्यक्तिगत राय है कि शहरी मनरेगा के जरिये आप गरीबों को रोजगार मुहैया करा सकते हैं।’ राज्य सरकारों द्वारा भी शहरी गरीबों को रोजगार गारंटी उपलब्ध कराने के पहले कुछ प्रयास किए गए हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने 2019 में युवा स्वाभिमान योजना शुरू की थी जिसके तहत शहरी युवाओं को 100 दिन का रोजगार देने का वादा किया गया था। केरल में 2010 से ही अयनकाली शहरी रोजगार गारंटी योजना चलाई जा रही है।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के अमित बसोले, मैथ्यू इंदिकुला, राजेंद्रन नारायणन, हरिणी नागेंद्र और सीमा मुनडोली ने 2019 में शहरी रोजागर गारंंटी अधिनियम पर ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया’ पेपर प्रस्तुत किया था। इन शिक्षाविदों ने शहरी युवाओं को 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी के हिसाब से 100 दिन रोजगार की गारंटी मुहैया कराने का प्रस्ताव किया था।

First Published - July 23, 2020 | 10:49 PM IST

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