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औद्योगिक ऊंचाई ढहने के कगार पर, विकास में कमी

Last Updated- December 07, 2022 | 11:08 PM IST

गत मंगलवार को वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास की दर 8 फीसदी रहेगी और उन्होंने इस दावे की पुष्टि के लिए कई तर्क भी दिए।


लेकिन औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों को देखने के बाद आर्थिक विकास की स्थिति बहुत मजबूत नजर नहीं आ रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान औद्योगिक उत्पादन की विकास दर 5.7 फीसदी रही।

वर्ष 2007 के जुलाई महीने के दौरान औद्योगिक उत्पादन की विकास दर 7.1 फीसदी रही। हालांकि गत जुलाई माह के दौरान पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 17 में 10 उद्योगों की विकास दर बेहतर रही।

सबसे ज्यादा औद्योगिक विकास शराब, बीयर एवं तंबाकू से जुड़े उद्योगों का रहा। इस क्षेत्र में इस दौरान 28.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी जबकि यातायात से जुड़े उत्पादों की विकास दर 18 फीसदी से भी अधिक रही।

वही ऊन, सिल्क एवं हथकरघा उद्योग की विकास दर काफी कम रही। उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में 7.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। खनिज उद्योग के मामले में पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले इस साल की समान अवधि के दौरान बेहतर प्रदर्शन रहा।

पिछले साल इस अवधि में इस क्षेत्र की विकास दर 2.7 फीसदी रही जो बढ़कर 4.5 फीसदी के स्तर पर आ गयी। निर्माण के क्षेत्र चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले साल के मुकाबले काफी कम बढ़ोतरी रही। वर्ष 2007-08 के अप्रैल से जुलाई माह के दौरान निर्माण क्षेत्र का विकास 10.5 फीसदी की दर से हुआ जो इस साल घटकर 6.1 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया।

ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी पिछले साल के मुकाबले गिरावट दर्ज की गयी। पिछले साल की पहली तिमाही में यह बढ़ोतरी 8.1 फीसदी रही जो घटकर 2.6 फीसदी हो गयी। जानकारों के मुताबिक औद्योगिक विकास की दरों में आयी गिरावट के लिए मांग में आयी कमी को मुख्य जिम्मेदार माना जा रहा है।

मुद्रास्फीति के 12 फीसदी के स्तर को छूने से चिंतित सरकार ने बाजार से नकदी कम करने के उद्देश्य से सीआरआर में बढ़ोतरी के साथ कई अन्य मौद्रिक उपाय किए। फलस्वरूप कर्ज लेना महंगा हो गया। इससे सबसे अधिक रियल एस्टेट का कारोबार प्रभावित हुआ।

और इससे जुड़े तमाम छोटे-बड़े उद्योगों के विकास में कमी आयी। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भी गत अगस्त माह के दौरान कार की बिक्री में कमी आयी। विशेषज्ञों की राय में आने वाले समय में कई उद्योगों के उत्पादन में वैश्विक मंदी के असर से और गिरावट की आशंका है। कपड़ा उद्योग का तो और भी बुरा हाल है।

First Published - October 9, 2008 | 10:58 PM IST

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