तेल की कीमतों में लगातार तेजी आने और जिंसों के दाम भी बढऩे से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 10.49 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। थोक महंगाई में तेज उछाल की एक वजह पिछले साल अप्रैल में इसका आंकड़ा बेहद कम होना भी है। देश भर में लॉकडाउन के दौरान अप्रैल 2020 में थोक मुद्रास्फीति 1.57 फीसदी घटी थी।
थोक मुद्रास्फीति दर थोक मूल्य सूचकांक से मापी जाती है और दिसंबर से इसमें लगातार तेजी देखी जा रही है। मार्च में यह 7.39 फीसदी तक पहुंच गई थी, जो पिछले आठ साल का सबसे अधिक आंकड़ा था। अप्रैल का आंकड़ा 2010 के अप्रैल महीने के बाद थोक महंगाई का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में खाद्य पदार्थों के दाम 4.92 फीसदी बढ़े हैं और विनिर्मित वस्तुओं के दाम में 9.01 फीसदी की तेजी आई है। पेट्रोल और डीजल के दाम में तेजी के कारण ईंधन और बिजली के दाम 20.94 फीसदी बढ़े हैं, जिससे कुल थोक महंगाई में इजाफा हुआ है।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘ईंधन और बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति बढऩे का कारण दुनिया भर में तेल की मांग बढऩे के कारण कीमत तेज होना तथा पिछली बार इनके दाम काफी कम होना है।’ इसके साथ ही धातुओं के दाम में तेजी से थोक मुद्रास्फीति में 64 फीसदी भारांश वाली विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में तेजी आई है।
दूसरी ओर खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई अप्रैल में कम होकर 4.29 फीसदी रही, जो मार्च में चार महीने के उच्च स्तर 5.52 फीसदी पर थी। मगर स्थानीय लॉकडाउन के कारण आगे इसमें भी इजाफा होने की आशंका है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘थोक मुद्रास्फीति जिस दायरे में बढ़ रही है, उससे हमारा यह अनुमान सही साबित होता है कि वृद्घि को गति देने के लिए दरों में कटौती की गुंजाइश इस समय नहीं है। भले ही मौद्रिक नीति का रुख उदार बना रहे।’ उन्होंने कहा, ‘दुनिया भर में टीकों की उपलब्धता की उम्मीद बढ़ती जा रही है, जिससे जिंसों के दाम तेज हुए हैं मगर कोरोना महामारी की दूसरी लहर की वजह से देश में धारणा कमजोर बनी हुई है।’
थोक मूल्य सूचकांक में करीब 20 फीसदी योगदान वाली आवश्यक वस्तुओं के दाम अप्रैल में 10.16 फीसदी बढ़े हैं, जिसमें एक साल पहले इसी महीने 1.08 फीसदी की कमी आई थी। फल, अंडे, मांस और मछली के दाम दो अंकों में बढ़े हैं।
गैर-खाद्य वस्तुओं के दाम भी अप्रैल में 15.6 फीसदी बढ़े हैं, जबकि मार्च में इनमें 11.8 फीसदी का इजाफा हुआ था और एक साल पहले इसी महीने इनके दाम 3 फीसदी गिरे थे। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जिंसों के दाम बढऩे से आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में तेजी बनी रह सकती है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘खनिज, खाद्य तेल, कच्चे तेल, कोयला, उर्वरक, प्लास्टिक, मूल धातुओं, इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़े हैं, जिससे देसी बाजार में भी इनकी महंगाई बढ़ी है। जिंसों की कीमतों में तेजी से थोक मुद्रास्फीति पर दबाव बना हुआ है।’