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Inflation: थोक महंगाई दिसंबर में 9 महीने के उच्च स्तर पर, क्या यह आपके बजट को प्रभावित करेगी?

यह लगातार दूसरा महीना है, जब थोक महंगाई दर धनात्मक क्षेत्र में आई है

Last Updated- January 15, 2024 | 10:12 PM IST
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थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर दिसंबर में बढ़कर 9 महीने के उच्च स्तर 0.73 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मुख्य रूप से खाद्य महंगाई बढ़ने के कारण ऐसा हुआ है।

यह लगातार दूसरा महीना है, जब थोक महंगाई दर धनात्मक क्षेत्र में आई है, जबकि इसके पहले अक्टूबर 2023 तक लगातार 7 महीने अवस्फीति की स्थिति थी और यह शून्य से नीचे बनी रही। नवंबर में थोक महंगाई 0.26 प्रतिशत पर आई।

दिसंबर महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 4 महीने के उच्च स्तर 9.38 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो इसके पहले महीने में 8.18 प्रतिशत थी। धान (10.54 प्रतिशत) और सब्जियों (26.3 प्रतिशत) की कीमत से इसे बल मिला। हालांकि प्याज (91.77 प्रतिशत) और दालों (26.3 प्रतिशत) की महंगाई दर में दिसंबर में कमी आई, लेकिन अभी भी इनकी कीमत उच्च स्तर पर है।

वहीं दूसरी तरफ अन्य खाद्य वस्तुओं जैसे गेहूं (-0.40 प्रतिशत), आलू (-24.08 प्रतिशत) और प्रोटीन वाली वस्तुओं जैसे अंडे, मांस और मछली (0.84 प्रतिशत) की कीमत में कमी आई है।

इसके अलावा आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर शून्य से नीचे (-0.71 प्रतिशत) बनी हुई है और दिसंबर में लगातार दसवें महीने यह स्थिति है। विनिर्मित खाद्य वस्तुओं (-1.59 प्रतिशत), सब्जियों व घी (-16.36 प्रतिशत), कपड़ा (-2.91 प्रतिशत), कागज (-6.67 प्रतिशत), रसायन (-5.69 प्रतिशत), धातुओं (-2.58 प्रतिशत), रबर (-0.55 प्रतिशत) और स्टील (-3.36 प्रतिशत) की कीमत शून्य से नीचे रही है। ईंधन की महंगाई दर लगातार आठवें महीने शून्य से नीचे (-2.41 प्रतिशत) रही है।

केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि थोक महंगाई दर इस वित्त वर्ष के दौरान लगातार दूसरे महीने धनात्मक रही, जिसकी वजह थोक खाद्य महंगाई दर है। साथ ही आधार का असर भी है। साथ ही विनिर्मित उत्पादों, ईंधन और बिजली क्षेत्र की महंगाई दर भी शून्य से नीचे रही है।

सिन्हा ने कहा, ‘आधार प्रभाव कम होते जाने के बावजूद इस वित्त वर्ष में थोक महंगाई दर एक प्रतिशत के आसपास ही रहेगी, क्योंकि जिंसों के वैश्विक दाम में नरमी बनी हुई है। हालांकि खरीफ की फसल को लेकर अनिश्चितता, रबी फसल की प्रगति, भू-राजनीतिक तनावों व वैश्विक वृद्धि दर की गणित पर नजर रखने की जरूरत है।’

First Published - January 15, 2024 | 10:12 PM IST

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