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ईंधन शुल्क कटौती से घटेगी महंगाई!

Last Updated- December 11, 2022 | 6:50 PM IST

पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती के सरकार के फैसले से जून से खुदरा महंगाई 25 आधार अंक घट सकती है। हालांकि अगर खाद्य कीमतों समेत अन्य उत्पादों पर इसके परोक्ष असर पर विचार करते हैं तो औसत मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष के दौरान 40 फीसदी आधार तक घटने के आसार हैं।
यह महीना खत्म होने में केवल 10 दिन बचे हैं, इसलिए चालू महीने में इस उपाय का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर पर असर केवल 7 से 8 आधार अंक रह सकता है। इंडियाा रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, ‘इस कदम का जून से करीब 25 आधार अंक का असर रह सकता है, जबकि मई में असर केवल 7 से 8 आधार अंक तक सीमित रह सकता है।’
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने सीपीआई मुद्रास्फीति दर मई में 6.5 से 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है, जबकि अप्रैल में यह आठ साल के सबसे ऊंचे स्तर 7.79 फीसदी पर रही है। हालांकि इसमें आधार प्रभाव और उत्पाद शुल्क में कटौती का शुरुआती असर दोनों शामिल हैं।
अप्रैल 2021 में महंगाई दर 4.23 फीसदी रही थी और उस साल मई में बढ़कर 6.30 फीसदी पर पहुंच गई थी। अगर सब चीजें समान भी रहीं तो इससे ही महंगाई काफी घट जाएगी। इसे आधार प्रभाव कहा जाता है।
केंद्र के अलावा राजस्थान, केरल और ओडिशा और महाराष्ट्र ने पेट्रोल और डीजल पर अपना मूल्य संवर्धित कर (वैट) कम किया है। राजस्थान ने पेट्रोल पर 2.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.16 रुपये प्रति लीटर वैट कम किया है। केरल ने पेट्रोल पर 2.41 रुपये और डीजल पर 1.36 रुपये प्रति लीटर वैट कम किया है, जबकि ओडिशा ने क्रमश: 2.23 रुपये और 1.36 रुपये कीकटौती की है। महाराष्ट्र ने पेट्रोल पर वैट 2.08 रुपये और डीजल पर 1.44 रुपये प्रति लीटर  घटाया है।
इसका इन तीन राज्यों में मुद्रास्फीति पर अतिरिक्त असर होगा। हालांकि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राज्यों की कमजोर वित्तीय स्थिति का मामला उठाया है। उन्होंने कहा, ‘राज्यों को पेट्रोल और डीजल पर शुल्कों की हिस्सेदारी के जरिये बहुत कम राजस्व मिल रहा है। उन्हें पेट्रोल और डीजल से राजस्व प्राप्त होता है। अगर केंद्र उन्हें कोष में ज्यादा हिस्सेदारी या अनुदान नहीं देता है तो क्या वे उस राजस्व को छोडऩे की स्थिति में हैं। यह स्थिति आगे कुआं पीछे खाई जैसी है।’
विशेषज्ञों ने कहा कि इसके अलावा इस कटौती का ऑटो, बस और टैक्सी किराये पर भी असर पड़ेगा। इससे खाद्य एवं अन्य उत्पादों पर परोक्ष असर होगा क्योंकि परिवहन लागत कम हो जाएगी।
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग के मुताबिक डीजल की कीमतों में 5.70 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी होने से मार्च के चार सप्ताह में ट्रकों का मालभाड़ा 4 से 5 फीसदी बढ़ा था। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि अब उनका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 में औसत मुद्रास्फीति 5.6 से 6.1 फीसदी रहेगी, जबकि पहले उनका अनुमान 6 से 6.5 फीसदी था।
आपूर्ति की चिंताएं दूर होने से बेंचमार्क वैश्विक तेल की कीमतें कम हुई हैं। लेकिन अब भी ब्रेंट और वेस्ट टैक्सस इंटरमीडियट की कीमतें करीब 109 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई हैं क्योंकि यूरोप में युद्ध का चौथा महीना शुरू होने जा रहा है।
यह माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय को बजट से अधिक खाद्य एवं उर्वरक सब्सिडी आवंटन की वजह से वित्त वर्ष 2023 का राजकोषीय गणित पहले ही गड़बड़ाने के आसार नजर आ रहे थे। ऐसे में वे उत्पाद शुल्क में इतनी बड़ी कटौती के पक्ष में नहीं थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि उत्पाद शुल्क में कटौती से खजाने को हर साल 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
पंत ने कहा कि केंद्र के उत्पाद शुल्क में और राज्यों के वैट में कटौती करने का मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में बहुत ज्यादा असर नहीं होगा। केंद्र गेहूं, दालों, खाद्य तेलों और कपास समेत विभिन्न उत्पादों की आपूर्ति की अड़चनों को दूर करने के उपाय कर रहा है ताकि उन्हें जनता के लिए सस्ता बनाया जा सके।

First Published - May 23, 2022 | 12:23 AM IST

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