गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को उनको वित्तीय संकट से उबारने के लिए दी जानेवाली विशेष सहायता राशि का फायदा अब करीब 50 से ज्यादा कंपनियों को मिलेगा।
इस पूरे घटनाक्रम पर नजदीक से नजर रख रहे सूत्र के अनुसार वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक इस इस सहायता के लिए योग्य संभावित कंपनियों की सूची तैयार कर रही है। इसके अलावा इस सुविधा का किस तरह से सफल परिचालन किया जाए, इस पर भी विचार किया जा रहा है।
एक सूत्र ने कहा कि इस सुविधा के लिए योग्य पाए जानेवाली एनबीएफसी मुख्य रूप में बड़े कंपनियां होंगी जिनको बड़े कार्पोरेट हाउस का समर्थन प्राप्त होगा। ये ऐसे कार्पारेट हाउस होंगी जिनको कि पिछले कुछ समय से फंड जुटाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
सूत्र ने आगे बताया कि इस सुविधा के लिए ऐसी कंपनियों को पहले प्राथमिकता देगी जिनके कारोबार की स्थिति ठीक नहीं है और जिन्हें सिस्टमिक रिस्क का खतरा ज्यादा है। इस योजना के पीछे मक सद यह था कि एनबीएफसी को जून तक निर्बाध रूप से फंड मुहैया कराई जाए और फिर सितंबर तक आबीआई के पास ये फंड वापस आ जाए।
इस बाबत एक सूत्र ने कहा कि फिलहाल इस योजना को अस्थाई तौर पर शुरू किया जा रहा है और अलग यह अपने मकसद में कामयाब होती है या फिर इस योजना की आगे भी जरूरत महसुस की जाती है तो उस स्थिति में बारे में इस योजना के बारे में फैसला कि या जाएगा।
इस योजना पर पिछले सप्प्ताह केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने अपनी मुहर लगाई है और इसके अनुसार आईडीबीआई बैंक के स्ट्रेस्ड ऐसेट स्टेबलाइजेशन फंड (एसएएसएफ) के जरिए एनबीएफसी को अपनी आवश्यताओं की पूर्ति केलिए करीब 25,000 करोड़ रुपये की सहायता दी जाएगी।
एसएएसएफ को अब तक सरकारी बैंक के पेचीदे परिसंपत्तियों को सुलझाने का दायित्व था। सहायता रकम मिलने के बाद वित्तीय कंपनियां बाजार में मौजूदा ब्याज दरों के आधार पर नए व्यावसायिक पत्र जारी करेगी और उनको एसएएसएफ के पास गिरवी रखेगी । एसपीवी जिसे आरबीआई द्वारा सीधे तौर पर पैसा मिलेगा वो फिर वित्तीय कंपनियों को ऋण मुहैया करा सकती हैं।