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फौरी राहत, पर और दवा की जरूरत

Last Updated- December 10, 2022 | 5:36 PM IST

सुरसा की तरह मुंह फैला रही महंगाई पर पिछले आठ हफ्तों से गिरावट का दौर जारी है। ऐसे में सरकार तो राहत की सांस ले रही है।


वहीं कुछ वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट से उद्योग जगत और आम लोगों को भी राहत मिलने की उम्मीद जगी है। मंदी के दौर में राहत देंगे महंगाई के घटते आंकड़े? विषय पर बिजनेस स्टैंडर्ड ने व्यापार गोष्ठी के तहत बहस आयोजित की। जिसमें देशभर के विशेषज्ञों और पाठकों ने अपनी राय जाहिर की।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मंदी के दौर में घटती महंगाई निश्चित रूप से संतोषजनक हैं, लेकिन यह भी ध्यान देने की बात है कि आम लोगों के उपभोग की वस्तुएं भी सस्ती हों। ज्यादातर विशेषज्ञों-पाठकों का यही कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं की कीमतों का असर भारत पर भी पड़ा है।

लेकिन 6 फीसदी की महंगाई दर कम नहीं है। वहीं कुछ पाठक यह सवाल भी उठाते हैं कि महंगाई दर तो कम जरूर हुई है, लेकिन यह भी देखना चाहिए कि लोगों की क्रय-शक्ति नहीं बढ़ी है।

ऐसे में मंदी से कैसे निपटा जा सकेगा? उनके मुताबिक, वस्तुओं की जब मांग ही नहीं बढ़ेगी, तो उत्पादन पर असर पड़ना लाजिमी है।

कुछ पाठकों का कहना है कि महंगाई के आंकड़े और जमीनी हकीकत में काफी अंतर है। आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले कुछ सप्ताहों से महंगाई दर में गिरावट तो हो रही है, लेकिन बाजार में पैसा नहीं है।

लोग निवेश करने से कतरा रहे हैं। शेयर बाजार रोज नई गहराइयों को तलाश रहा है। वास्तविकता यही है कि घटते महंगाई के आंकड़ों से खास फर्क नहीं पड़ेगा।

हालांकि कुछ का यह भी मानना है कि अर्थव्यवस्था में एक घटक दूसरे से प्रभावित होता है। ऐसे में मंहगाई के कम होने से मंदी के बादल छंटेंगे।

बहरहाल, इस बहस से यही निष्कर्ष निकलता है कि महंगाई दर में नरमी से लोगों को फौरी राहत तो मिल सकती है, लेकिन मंदी को मात देने के लिए अभी सरकार को और उपाय अपनाने होंगे।

First Published - January 4, 2009 | 11:53 PM IST

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