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व्यापार अधिशेष में खुशी मनाने जैसा कुछ नहीं

Last Updated- December 15, 2022 | 4:37 AM IST

अर्थशास्त्री जून महीने में 10 साल बाद पहली बार हुए व्यापार अधिशेष को लेकर उत्साहित नहीं हैं। उनका मानना है कि इससे मांग में खतरनाक गिरावट के संकेत मिलते हैं, जो आर्थिक वृद्धि के हिसाब से बेहतर नहीं है।
एलऐंडटी फाइनैंस ग्रुप में मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने कहा, ‘अधिशेष में निश्चित रूप से अभी ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसमें खुश हुआ जाए। इसके बजाय यह आर्थिक गतिविधियों में गंभीर मंदी के संकेत दे रहा है, जिससे प्रमुख आयातों की मांग कमजोर हुई है, जिनमें गैर तेल, गैर कीमती धातु का आयात शामिल है।’ नित्सुरे ने कहा, ‘कोई अगर खुश होता है तो सिर्फ इस बात से खुश हो सकता है कि आयात की तुलना में निर्यात ज्यादा रहा है। आज की परिस्थितियों में देखेंं तो यह सकारात्मक के बजाय नकारात्मक संकेत है।’
लगातार चौथे महीने निर्यात में गिरावट आई है, हालांकि गिरावट की रफ्तार पहले की तुलना में थोड़ी कम हुई है। जून महीने में वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात में 12.41 प्रतिशत की कमी आई है, हालांकि यह मई में आई 36.47 प्रतिशत और अप्रैल की 60.28 प्रतिशत गिरावट की तुलना में कम है। जून महीने में आयात 47.59 प्रतिशत कम हुआ है, जो इसके पहले महीने के 51.05 प्रतिशत और अप्रैल के 58.65 प्रतिशत की तुलना में कम है। सोने, पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग के सामान, कोयला और मशीनरी का आयात घटा है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मई के 43.13 प्रतिशत की तुलना में जून महीने में 41.37 प्रतिशत गिरावट से संकेत मिलता है कि औद्योगिक उत्पादन बहाल होने में वक्त लगेगा।
21.91 अरब डॉलर के निर्यात और 21.11 अरब डॉलर के आयात की वजह से 80 करोड़ डॉलर अधिशेष जून में हुआ है। जनवरी 2002 में हुए 1 करोड़ डॉलर अधिशेष के बाद पहली बार ऐसा हुआ है।
इंडसइंड बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री गौरव कपूर का कहना है कि राजकोषीय कदमों और प्रतिबंधों में ढील के कारण अमेरिका और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मई की तुलना में जून में गतिविधियां बढ़ी हैं, जिससे निर्यात को समर्थन मिला होगा, लेकिन धीरे धीरे लॉकडाउन हटने से घरेलू मांग कम बनी हुई है। कपूर के मुताबिक अब निर्यात स्थिर हो सकता है, वहीं घरेलू मांग दूसरी छमाही में धीरे धीरे बढ़ेगी। कपूर ने कहा, बहरहाल व्यापार अधिशेष को कम मांग के संकेत के रूप में देखा जा रहा है और यह चिंता का विषय है।
अधिशेष ने ज्यादातर अर्थशास्त्रियों को आश्चर्य में डाला है। आईडीएफसी फस्र्ट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा, ‘गैर तेल और गैर स्वर्ण आयात में संकुचन के कारण आश्चर्य हुआ है, जो मासिक आधार पर 3.1 अरब डॉलर कम रहा है।’ इस गिरावट से जून में लॉकडाउन में ढील के बावजूद सुस्ती बने रहने के संकेत मिल रहे हैं।

First Published - July 20, 2020 | 12:28 AM IST

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