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अब सीधे गुजरात से हो सकेगा अमेरिका को “केसर” आम का निर्यात

Last Updated- December 11, 2022 | 5:21 PM IST

अभी तक यह महाराष्ट्र के रास्ते होता रहा है। आखिर राज्य को अहमदाबाद में विकिरण उपचार सुविधा के लिए  अमेरिका  के कृषि, पशु और वनस्पति स्‍वास्‍थ्‍य निरीक्षण सेवा विभाग (यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर-एनिमल एंड प्लांट हेल्थ इंस्पेक्शन सर्विसेज) से मंजूरी मिलने के बाद यह संभव हो पाया है।
 
गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जीएआईसी) द्वारा स्थापित यह विकिरण उपचार सुविधा- गुजरात एग्रो रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसिलिटी (जीएआरपीएफ)- क्षमता और उत्पादों की श्रेणी के मामले में देश के सभी चार केंद्रों में  सबसे बड़ी है।
 
अधिकांश देशों के विपरीत अमेरिका के लिए निर्यात होने वाले आमों और अन्य खाद्य उत्पादों के लिए  विकिरण उपचार/रेडिएशन टेस्ट अनिवार्य है। यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जो फलों और अन्य खाद्य उत्पादों को कीटाणुरहित यानी  डिप्टेरा (मक्खियों) या टेफ्रिटिडे (फल वाली मक्खियों) सहित कई प्रकार की मक्खियों से रहित /विमुक्त करती है।
 
जीएआईसी के प्रबंध निदेशक डी के पारेख ने कहा, “यह न केवल कीटाणुरहित करता है, बल्कि आम जैसे फलों और सब्जियों को कम से कम 25-30 दिनों तक ताजा बनाए रखता है। गुजरात ने अपने स्थानीय केसर आमों के लिए जीआई टैग हासिल किया था, जबकि अमेरिका को निर्यात महाराष्ट्र से दर्ज किया गया था। लेकिन अब गुजरात यूएसडीए-एपीएचआईएस द्वारा अनुमोदित सुविधा के साथ सीधे अमेरिका को निर्यात करने में सक्षम होगा।”
 
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका को भारत का आम निर्यात 1095.42 टन था, जिसका मूल्य 30.56 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में 16.51 टन बढ़कर 12.77 लाख रुपये तक पहुंचने से पहले 1.09 लाख रुपये मूल्य के 1.45 टन तक गिर गया था।
 
दूसरी ओर, महाराष्ट्र ने 2019-20 में अमेरिका को लगभग 980 टन विकिरणित यानी रेडिएशन सुविधा से गुजरे आमों का निर्यात किया था। यूएसडीए-एपीएचआईएस अनुमोदित विकिरण संयंत्र की राज्य में अनुपलब्धता के कारण इनमें से 50-60 प्रतिशत  आम  गुजरात के थे ।
 
राज्य सरकार के बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “लेकिन राज्य में यूएसडीए-एपीएचआईएस अनुमोदित विकिरण सुविधा की कमी के कारण गुजरात से अमेरिका को सभी केसर आम निर्यात महाराष्ट्र के माध्यम से चला गया। अब यूएसडीए-एपीएचआईएस द्वारा अनुमोदित इस सुविधा के साथ गुजरात 2022-23 से इन निर्यात से होने वाली आमदनी को रिकॉर्ड करना शुरू कर देगा।”
 
इसके अलावा, एक मिलियन क्यूरी में एग्रोसर्ग इरेडिएटर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित और रखरखाव की सुविधा, देश में क्षमता के मामले में सबसे बड़ी है। अब तक भारत में तीन यूएसडीए-एपीएचआईएस अनुमोदित विकिरण सुविधाएं थीं। ये मुंबई, लासलगांव और बेंगलुरु में थी।
 
जो चीज देश में अन्य तीन सुविधाओं से जीएआरपीएफ को अलग करती है, वह है उत्पादों की रेंज। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी), और विकिरण और आइसोटोप प्रौद्योगिकी बोर्ड (बीआरआईटी) के मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता के तहत कार्यान्वित जीएआरपीएफ भारत में एकमात्र ऐसी सुविधा है जो प्याज, आलू, अनाज, दालें, साइलियम भूसी जैसे उत्पादों को विकिरणित कर सकती है। यहां मसालों, सूखा प्याज, सूखी सब्जियों, पोल्ट्री, अंडे सहित मांस उत्पाद आदि को आवश्यकता के अनुसार रेडिएशन से मुक्त कर दिया जाता है।
 
एग्रोसर्ग इरेडिएटर्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक प्रणव पारेख ने कहा, “गुजरात में विकिरण सुविधा में दालों, मसालों, चिकित्सा उपकरणों, ताजे फल और सब्जियों, ताजे प्याज, और सूखे प्याज सहित अन्य उत्पादों की व्यापक रेंज को कीटाणुरहित करने की क्षमता है। इन उत्पादों में से प्रत्येक के लिए आवश्यक रेडिएशन का डोज अलग है। यह रेंज 40 ग्रे से लेकर 25000 तक है। नतीजतन, न केवल यूपी जैसे अन्य राज्यों के आम, जो अब तक मुंबई में विकिरणित होते थे, अब गुजरात में भी किए जा सकते हैं। “
 
हालांकि इसने यूएसडीए-एपीएचआईएस अनुमोदन हाल ही में प्राप्त किया है, लेकिन यह जीएआईसी द्वारा अहमदाबाद में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए बहुउद्देशीय विभाजन प्रकार, पैलेटाइज्ड विकिरण प्रसंस्करण सुविधा के रूप में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत 2014 में 20 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से स्थापित की गई थी।
 
बहरहाल, अमेरिका से मंजूरी मिलने के बाद जीएआरपीएफ अब ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के साथ इसी तरह के अनुमोदन के लिए आवेदन करने की योजना बना रहा है, क्योंकि वहां भी आमों और अन्य उत्पादों के निर्यात किए गए विकिरण अनिवार्य है।अभी तक यह महाराष्ट्र के रास्ते होता रहा है। आखिर राज्य को अहमदाबाद में विकिरण उपचार सुविधा के लिए  अमेरिका  के कृषि, पशु और वनस्पति स्‍वास्‍थ्‍य निरीक्षण सेवा विभाग (यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर-एनिमल एंड प्लांट हेल्थ इंस्पेक्शन सर्विसेज) से मंजूरी मिलने के बाद यह संभव हो पाया है।
 
गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जीएआईसी) द्वारा स्थापित यह विकिरण उपचार सुविधा- गुजरात एग्रो रेडिएशन प्रोसेसिंग फैसिलिटी (जीएआरपीएफ)- क्षमता और उत्पादों की श्रेणी के मामले में देश के सभी चार केंद्रों में  सबसे बड़ी है।
 
अधिकांश देशों के विपरीत अमेरिका के लिए निर्यात होने वाले आमों और अन्य खाद्य उत्पादों के लिए  विकिरण उपचार/रेडिएशन टेस्ट अनिवार्य है। यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जो फलों और अन्य खाद्य उत्पादों को कीटाणुरहित यानी  डिप्टेरा (मक्खियों) या टेफ्रिटिडे (फल वाली मक्खियों) सहित कई प्रकार की मक्खियों से रहित /विमुक्त करती है।
 
जीएआईसी के प्रबंध निदेशक डी के पारेख ने कहा, “यह न केवल कीटाणुरहित करता है, बल्कि आम जैसे फलों और सब्जियों को कम से कम 25-30 दिनों तक ताजा बनाए रखता है। गुजरात ने अपने स्थानीय केसर आमों के लिए जीआई टैग हासिल किया था, जबकि अमेरिका को निर्यात महाराष्ट्र से दर्ज किया गया था। लेकिन अब गुजरात यूएसडीए-एपीएचआईएस द्वारा अनुमोदित सुविधा के साथ सीधे अमेरिका को निर्यात करने में सक्षम होगा।”
 
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका को भारत का आम निर्यात 1095.42 टन था, जिसका मूल्य 30.56 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में 16.51 टन बढ़कर 12.77 लाख रुपये तक पहुंचने से पहले 1.09 लाख रुपये मूल्य के 1.45 टन तक गिर गया था।
 
दूसरी ओर, महाराष्ट्र ने 2019-20 में अमेरिका को लगभग 980 टन विकिरणित यानी रेडिएशन सुविधा से गुजरे आमों का निर्यात किया था। यूएसडीए-एपीएचआईएस अनुमोदित विकिरण संयंत्र की राज्य में अनुपलब्धता के कारण इनमें से 50-60 प्रतिशत  आम  गुजरात के थे ।
 
राज्य सरकार के बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “लेकिन राज्य में यूएसडीए-एपीएचआईएस अनुमोदित विकिरण सुविधा की कमी के कारण गुजरात से अमेरिका को सभी केसर आम निर्यात महाराष्ट्र के माध्यम से चला गया। अब यूएसडीए-एपीएचआईएस द्वारा अनुमोदित इस सुविधा के साथ गुजरात 2022-23 से इन निर्यात से होने वाली आमदनी को रिकॉर्ड करना शुरू कर देगा।”
 
इसके अलावा, एक मिलियन क्यूरी में एग्रोसर्ग इरेडिएटर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित और रखरखाव की सुविधा, देश में क्षमता के मामले में सबसे बड़ी है। अब तक भारत में तीन यूएसडीए-एपीएचआईएस अनुमोदित विकिरण सुविधाएं थीं। ये मुंबई, लासलगांव और बेंगलुरु में थी।
 
जो चीज देश में अन्य तीन सुविधाओं से जीएआरपीएफ को अलग करती है, वह है उत्पादों की रेंज। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी), और विकिरण और आइसोटोप प्रौद्योगिकी बोर्ड (बीआरआईटी) के मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता के तहत कार्यान्वित जीएआरपीएफ भारत में एकमात्र ऐसी सुविधा है जो प्याज, आलू, अनाज, दालें, साइलियम भूसी जैसे उत्पादों को विकिरणित कर सकती है। यहां मसालों, सूखा प्याज, सूखी सब्जियों, पोल्ट्री, अंडे सहित मांस उत्पाद आदि को आवश्यकता के अनुसार रेडिएशन से मुक्त कर दिया जाता है।
 
एग्रोसर्ग इरेडिएटर्स प्राइवेट लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक प्रणव पारेख ने कहा, “गुजरात में विकिरण सुविधा में दालों, मसालों, चिकित्सा उपकरणों, ताजे फल और सब्जियों, ताजे प्याज, और सूखे प्याज सहित अन्य उत्पादों की व्यापक रेंज को कीटाणुरहित करने की क्षमता है। इन उत्पादों में से प्रत्येक के लिए आवश्यक रेडिएशन का डोज अलग है। यह रेंज 40 ग्रे से लेकर 25000 तक है। नतीजतन, न केवल यूपी जैसे अन्य राज्यों के आम, जो अब तक मुंबई में विकिरणित होते थे, अब गुजरात में भी किए जा सकते हैं। “
 
हालांकि इसने यूएसडीए-एपीएचआईएस अनुमोदन हाल ही में प्राप्त किया है, लेकिन यह जीएआईसी द्वारा अहमदाबाद में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए बहुउद्देशीय विभाजन प्रकार, पैलेटाइज्ड विकिरण प्रसंस्करण सुविधा के रूप में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत 2014 में 20 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से स्थापित की गई थी।
 
बहरहाल, अमेरिका से मंजूरी मिलने के बाद जीएआरपीएफ अब ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के साथ इसी तरह के अनुमोदन के लिए आवेदन करने की योजना बना रहा है, क्योंकि वहां भी आमों और अन्य उत्पादों के निर्यात किए गए विकिरण अनिवार्य है।

First Published - July 24, 2022 | 4:44 PM IST

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