गवर्नर शक्तिकांत दास का शुरुआती भाषण: हम कई मुख्य बिंदुओं पर बात करना चाहेंगे। सबसे पहली बात तो यह है कि हमें आर्थिक गतिविधियां मजबूत बने रहने की उम्मीद है। हम वित्त वर्ष 2025 में 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान जता रहे हैं। साथ ही उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में नरमी आ रही है। हमें आगे के आंकड़ों और आउटलुक पर सतर्क रहना होगा। हमारा प्रयास रहेगा 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति का लक्ष्य हासिल करना। इसके अलावा आरबीआई तरलता का सक्रिय तौर पर प्रबं धन करता रहेगा। हमारी बहुआयामी और सक्रिय नीतियों ने मजबूत वित्तीय स्थायित्व बनाए रखने की दिशा में काम किया है। अर्थव्यवस्था का बाहरी क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। चालू खाता घाटा काफी हद तक प्रबं धित होने का अनुमान है। साथ ही भारतीय रुपये की विनिमय दर स्थिर बनी हुई है।
स्वामीनाथन जे: जमा पर दरें तेजी से बदली हैं और वे अब काफी बढ़ गई हैं। जहां तक उधारी दरों की हात है तो इनमें उतार-चढ़ाव में ज्यादा समय लगता है। हमारी नजर में इसके दो कारण हैं। पहला है उन ऋणों का अनुपात, जो बाहरी मानक से जुड़े होते हैं, जिन्हें हम ईबीएलआर लोन कहते हैं। ये अभी भी 50 प्रतिशत से कम हैं। एमसीएलआर या बेस रेट या फिक्स्ड रेट ऋणों जैसे अन्य मानकों के मामले में, बदलाव में समय लगता है। यही वजह है कि हम दरों से जुड़े बदलाव पूरी तरह होते नहीं देख रहे हैं। दूसरा कारण है कि ऋण में अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने की चिंता में बैंक अपने मार्जिन को भी समायोजित करते हैं।
एमडी पात्र: मैं सरकार की तरफ से जवाब देने का जोखिम नहीं उठाऊंगा लेकिन मेरा मानना है कि जीडीपी में जो जाता है, वह सीपीआई मुद्रास्फीति नहीं है, वह जीडीपी डिफ्लेटर है और यह हमेशा सीपीआई और डब्ल्यूपीआई का एक वेटेड कॉ म्बिनेशन होता है।
दास: हम हरेक नियमन इकाई को नियामक के नियमों का पालन करने के लिए पर्याप्त समय देते हैं। कभी कभी यह समय पर्याप्त से भी ज्यादा होता है। हम एक जिम्मेदार नियामक हैं, सुपरवाइजर हैं। अगर सब कुछ अनुकूल रहता तो हमें कार्रवाई की जरूरत क्यों पड़ती। आरबीआई एक जवाबदेह संस्था है।
स्वामीनाथन जे: नियामक के तौर पर हमारे पास विभिन्न समाधान हैं और यह आवश्यक नहीं कि हरेक समाधान को हर एक स्थिति में इस्तेमाल किया जाएगा। हम समस्या के आकार और अनुपात के साथ-साथ उस समाधान विकल्प का भी स्वयं आकलन करते हैं जिसका हमें अलग-अलग समय में उपयोग करना होगा।