अगर सितंबर में समाप्त होने जा रही तिमाही तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर लगातार 6 प्रतिशत से ऊपर बनी रहती है तो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हस्ताक्षरित पत्र वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा।
इसका प्रारूप अहम है। भविष्य के किसी ऐसे पत्रव्यवहार के लिए यह नमूना बन जाएगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास इस मसले पर संसद के साथ सीधे संवाद नहीं करेंगे। इसकी जगह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस मसले को सदन पटल पर रखने के बारे में फैसला करेंगी। इसका मतलब यह है कि अगर उसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम (आरबीआई ऐक्ट) के तहत मौद्रिक नीति को लेकर संसद में कोई चर्चा होती है तो उसका संचालन वित्त मंत्रालय के वित्तीय प्राधिकारी द्वारा होगा।
बैंक के एक उच्च स्तरीय सूत्र ने कहा, ‘हमें सरकार को सिर्फ एक पत्र लिखकर उच्च महंगाई दर की वजह बताने और रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अन्य कदमों की जानकारी देने की जरूरत होगी।’
महंगाई दर का मापन सामान्यतया उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर होता है, जो पिछले 5 महीने से लगातार रिजर्व बैंक द्वारा तय ऊपरी सीमा 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है।
आरबीआई ऐक्ट की धारा 45 जेडएन (महंगाई दर का लक्ष्य बरकरार रखने में असफलता) में कहा गया है, ‘अगर बैंक महंगाई दर का लक्ष्य हासिल करने में चूक जाता है तो वह केंद्र सरकार को यह रिपोर्ट देगा (ए) महंगाई का लक्ष्य हासिल न कर पानी की वजह (बी) बैंक द्वारा इसके उपचार के लिए की गई कार्रवाई के कदम (सी) समयावधि का अनुमान, जिसमें महंगाई दर का लक्ष्य प्रस्तावित कदमों के बाद हासिल हो जाएगा।’
मौद्रिक नीति के ढांचे के तहत भारत सरकार और रिजर्व बैंक के बीच समझौता हुआ है, जिस पर वित्त सचिव और रिजर्व बैंक के गवर्नर ने हस्ताक्षर किया है। यह 20 फरवरी, 2015 से लागू है। इसका नवीकरण 2021 में किया गया है। इसके मुताबिक सीपीआई महंगाई 2 प्रतिशत घटबढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर होनी चाहिए। अगर यह 6 प्रतिशत से ऊपर लगातार तीन तिमाही बनी रहती है तो रिजर्व बैंक को इसका स्पष्टीकरण देना होगा।
पहले भी ऐसे मौके आए हैं जब रिजर्व बैंक के गवर्नर सहित प्रमुख नियामक संसद की समिति के समक्ष पेश हुए हैं, लेकिन वह पेशी बैंकिंग संबंधी मसलों पर थी। यह पहला मौका होगा जब मौद्रिक नीति को लेकर रिजर्व बैंक के प्रदर्शन पर चर्चा होगी और मामला संसद में आएगा। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के हेड आफ आउटरीच चक्षु रॉय ने कहा, ‘इसके पहले की कोई नजीर नहीं है। ऐसे में इसे लेकर क्या होता है, यह देखना अहम है।’