कोविड-19 संक्रमण के मामलों में रिकॉर्ड तेजी की वजह से लोग ज्यादातर घर में रह रहे हैं। सर्च इंजन गूगल जिन विभिन्न श्रेणी की जगहों का जायजा लेती है उन जगहों पर भी लोगों की गतिशीलता के डेटा में गिरावट दर्ज की जा रही है। यह अनाम स्थान डेटा का इस्तेमाल यह देखने के लिए करती है कि महामारी के दौरान लोगों की आवाजाही का रुझान कैसा है। सामान्य दिनों की तुलना में कार्यस्थलों में करीब एक-तिहाई की कमी है। यह दिसंबर के बाद सबसे कम है। रिटेल स्टोर और मनोरंजन वाली जगहों पर लोगों के जाने की दर 30 फीसदी से कम है। गूगल ट्रैकर ‘आवर वल्र्ड इन डेटा’ के मुताबिक लोगों ने ट्रांजिट स्टेशनों पर कम यात्रा की और लोग घर पर अधिक वक्त बिता रहे हैं। गूगल एक अंतराल के साथ इन डेटा को जारी करता है। नए आंकड़े 14 अप्रैल के हैं।
वैश्विक लोकेशन तकनीक कंपनी टॉमटॉम इंटरनैशनल के आंकड़ों के मुताबिक नई दिल्ली में यातायात की तादाद में 49 फीसदी की कमी है। मुंबई में यह 73 फीसदी कम है। देश में बिजली उत्पादन की मात्रा की वृद्धि पर भी असर पड़ा है और जनवरी 2019 में इसने 15 फीसदी से अधिक के स्तर को छू लिया था। उसके बाद से इसमें 7.3 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले साल मार्च में शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान बिजली उत्पादन पर असर पड़ा था। संक्रमण की दूसरी लहर के बाद ताजा मामले सामने आने से पहले इसमें सुधार आया था।
भारत में एक दिन में संक्रमण के मामले करीब 3 लाख के स्तर पर पहुंच चुके हैं। इस बीच दिल्ली ने सोमवार को लॉकडाउन की घोषणा की। महाराष्ट्र ने पहले ही लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का भी जायजा लेता है। इसे औद्योगिक गतिविधि और वाहनों के आधार पर जारी किया जाता है। दिल्ली का स्तर 2019 के समान ही देखा जा रहा है जबकि मुंबई के उत्सर्जन में 48 प्रतिशत की कमी है।
2020 के लॉकडाउन के दौरान भारतीय रेलवे का कामकाज भी प्रभावित हुआ था। इससे साल दर साल तुलना के लिए अनुकूल आधार बनाने में मदद मिली है। नतीजतन माल ले जाने की मात्रा और आमदनी दोनों में बढ़ोतरी दिखी है और दोनों में 70.95 प्रतिशत का लाभ दिख रहा है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड इन आंकड़ों का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था की मौजूदा तस्वीर का जायजा लेने के लिए कर रहा। आधिकारिक वृहद आर्थिक डेटा अक्सर अंतराल के साथ जारी किए जाते हैं। वैश्विक स्तर पर विश्लेषक इसी तरह के संकेतकों पर नजर रखते हैं ताकि यह अंदाजा मिले कि जमीनी स्तर पर तेजी से बदलती परिस्थितियों के बीच कैसी स्थिति है। गूगल लोकेशन डेटा को छोड़कर सभी डेटा 18 अप्रैल रविवार के हैं।