वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की अगले हफ्ते प्रस्तावित बैठक से पहले अधिकारियों की एक समिति ने डेरी उत्पादों से लेकर एयर कंडीशनर तक कई प्रमुख उपभोक्ता उत्पादों पर दरों में कटौती की मांग को खारिज कर दिया है। इससे संकेत मिलता है कि सरकार की राजस्व की स्थिति काफी तंग है और दरों में कटौती से राजस्व का खासा नुकसान हो सकता है।
केंद्र और राज्यों के राजस्व अधिकारियों वाली फिटमेंट समिति ने रेडी-टू-ईट-फूड से लेकर जल्दी खराब होने वाले फलों, ब्रांडेड नमकीन, डेरी उत्पादों, एथनॉल, बायोडीजल, तंबाकू उत्पादों तथा हथकरघा उत्पादों जैसी 100 से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाने की मांग को खारिज कर दिया।
फिटमेंट समिति के अनुसार इनमें से कुछ वस्तुएं 18 फीसदी और 28 फीसदी के ऊंचे कर दायरे में आती हैं, जिनमें बदलाव नहीं होगा।
जीएसटी परिषद की बैठक 28 और 29 जून को होगी जिसमें फिटमेंट समिति की सिफारिशों पर विचार किया जाएगा। समिति ने ट्रेटा पैक उत्पादों पर कर की दर को मौजूदा 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी करने का भी प्रस्ताव किया है। उसने कट और पॉलिश वाले हीरे पर जीएसटी मौजूदा 0.25 फीसदी से बढ़ाकर 1.5 फीसदी करने का भी सुझाव दिया है। हालांकि इन प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय जीएसटी परिषद की बैठक में लिया जाएगा। इनमें से कुछ वस्तुओं की सूची मंत्री-स्तरीय समिति के पास विचाराधीन हैं, जो परिषद को अपनी अंतरिम रिपोर्ट जल्द ही सौंप सकती है।
एयर कंडीशनर पर जीएसटी दर में इसलिए बदलाव नहीं किया गया कि फिटमेंट समिति का कहना था कि इसमें इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल जैसे कि धातुओं आदि पर पहले से ही 18 फीसदी जीएसटी लगता है। ऐसे में दर में कटौती करने से राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
मोबाइल और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मूल्य वर्धित उत्पाद हैं इसलिए समिति का तर्क था कि इन पर 18 फीसदी जीएसटी बरकरार रहना चाहिए। ब्रांडेड फूड, इंस्टैंट फूड मिक्स आदि पर भी दर घटाने से इनकार किया गया है। चिप्स जैसे पैकेज्ड उत्पादों पर गैर-ब्रांडेड खाने-पीने की चीजों की तुलना में ऊंची कर की दर पर समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय किया। इसी तरह देसी घी, मक्खन और फ्लेवर्ड दूध पर दरों में कमी के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि इसी तरह की अन्य अधिकांश मूल्य वर्धित प्रसंस्कृत चीजों पर भी 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
समिति ने कहा कि एथनॉल पर 18 फीसदी जीएसटी और बायोडीजल पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है जो पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क की तुलना में कम है। इस प्रकार, ये उत्पाद पहले से ही जीएसटी की रियायती दर पर हैं और आगे की कटौती का एक बड़ा असर राजस्व पर पड़ेगा।
ट्रैक्टर पर दरों को कम करने की मांग के बिंदु पर पैनल ने यह पाया कि यह पहले से मौजूद जीएसटी दर को और पलट सकता है। वर्तमान में, इस पर 12 फीसदी का रियायती जीएसटी लगता है जबकि ट्रैक्टरों के विशेष कलपुर्जों पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है। इन विशेष पुर्जों के अलावा ट्रैक्टरों में इस्तेमाल किए जाने वाले पुर्जों पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। समिति के सुझावों के बारे में एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि टेट्रा पैक की दर बढ़ाने के पीछे इस तरह के सभी प्रकार की पैकेजिंग पर कर संरचना में एकरूपता लाना है।
‘सेवाओं’ पर दरों में कटौती : सेवाओं के मामले में समिति ने सेवा क्षेत्र से जुड़े कम से कम 100 चीजों पर दर में कटौती की मांग की है जिसमें सॉफ्टवेयर सामान, अस्पतालों द्वारा भुगतान किया गया किराया, पूंजी बाजार क्षेत्र, ऑनलाइन मीडिया, वाणिज्यिक परियोजनाएं, संपत्ति पर ब्रोकिंग सेवाएं, देश में कार्य अनुबंध, सावधि बीमा प्रीमियम, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग और बैटरी, हवाई जहाज से माल ढुलाई और व्यापार मेले में भागीदारी शामिल है।