देश में खुदरा महंगाई फरवरी में मामूली बढ़कर 8 महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर रही। यह लगातार दूसरे महीने केंद्रीय बैंक के 6 फीसदी के सहजता स्तर की ऊपरी सीमा से अधिक रही। थोक महंगाई की दर लगातार 11वें महीने दो अंकों में रही। इससे एशिया की इस तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में वृद्धि के रुझान को लेकर बढ़ते जोखिमों के बीच मुद्रास्फीति प्रबंधन एक चुनौती बन सकता है।
सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर फरवरी में बढ़कर 6.07 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने 6.01 फीसदी थी। इसमें बढ़ोतरी मुख्य रूप से खाद्य एवं पेय, परिधान एवं फुटवियर और ईंधन एवं बिजली समूहों में तेजी की वजह से हुई है।
खाद्य एवं पेय की महंगाई फरवरी में 15 महीनों के सर्वोच्च स्तर 5.85 फीसदी पर रही क्योंकि सब्जियों एवं खाद्य तेलों में ऊंची महंगाई दर्ज की गई है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘हमें लगता है कि वित्त वर्ष 2023 में खुदरा महंगाई 5.5 से 6 फीसदी रहेगी और आरबीआई अपने पूर्वानुमान में बदलाव पर विचार कर सकता है।’ हालांकि मुख्य महंगाई जनवरी में घटकर 5.82 फीसदी रही, जो उससे पिछले महीने में 5.85 फीसदी रही थी।
उद्योग विभाग द्वारा अलग से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर फरवरी में 13.11 फीसदी रही, जो लगातार दो महीने गिरकर जनवरी में 12.96 फीसदी थी। फरवरी में विनिर्मित उत्पादों की महंगाई बढ़कर 9.84 फीसदी रही क्योंकि उत्पादकों ने कच्चे माल की बढ़ी लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला। लेकिन खाद्य महंगाई दर घटकर 8.19 फीसदी और ईंधन की महंगाई दर गिरकर 31.5 फीसदी रही। खाद्य तेल की महंगाई ने मई 2021 से गिरावट का रुझान दिखाने के बाद फरवरी में 14.9 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की है।
तेल की कीमतें नवंबर से नहीं बढ़ी हैं। इसलिए जब तेल विपणन कंपनियां ईंधन की कीमतें बढ़ाएंगी तो अर्थव्यवस्था पर महंगाई का दबाव बढ़ सकता है। इससे भारतीय रिजर्व बैंक पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा।
ब्रिकवर्क रेटिंग्स में मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंद राव ने कहा, ‘पांच राज्यों में चुनाव को मद्देनजर रखते हुए पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें नहीं बढ़ाई गई हैं। अब चुनाव संपन्न हो चुके हैं, इसलिए डीजल और पेट्रोल की कीमतों में जल्द बढ़ोतरी हो सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रतिकूल परिणामों से कच्चे तेल और गैस की कीमतें ऊंची बने रहने का अनुमान है। इससे महंगाई में और तेजी आ सकती है।’
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने पिछले महीने रिवर्स रीपो दर में बढ़ोतरी के अनुमानों के विपरीत वृद्घि को उबारने और बरकरार रखने के लिए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। दिसंबर में देश के कारखानों में उत्पादन की वृद्घि दर घटकर 0.4 फीसदी रही, जो 10 महीनों का सबसे निचला स्तर है। इससे भारत की वृद्धि के रुझान की कमजोरी का पता चलता है।
मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2022 के लिए महंगाई का अपना अनुमान 5.3 फीसदी पर रखा है। इसने मॉनसून सामान्य मानते हुए वित्त वर्ष 2023 में 4.5 फीसदी महंगाई का अनुमान जताया है।