भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक से पहले 10 वर्षीय बेंचमार्क वाले सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल बढ़कर करीब 7 फीसदी पर पहुंच गया। पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी के मद्देनजर छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाने के लिए प्रेरित हो सकती है।
10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल आज 6.92 फीसदी पर बंद हुआ, जो मंगलवार को 6.90 फीसदी पर बंद हुआ था। पिछले कुछ दिनों में, खास तौर पर सरकार की उधारी कैलेंडर की घोषणा के बाद बॉन्ड का प्रतिफल करीब 8 आधार अंक बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सरकार बाजार की उम्मीद से कहीं ज्यादा उधारी ले सकती है। इससे पहले 26 जून, 2019 को बॉन्ड का प्रतिफल 6.93 फीसदी के स्तर पर पहुंचा था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले बाजार में घबराहट के कारण 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल बढ़ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘फिलहाल दरों में बढ़ोतरी की संभावना नहीं है लेकिन आरबीआई अपने रुख में बदलाव कर दरों में बढ़ोतरी का संकेत दे सकता है। बॉन्ड प्रतिफल अभी 6.90 फीसदी से ऊपर बना रह सकता है।’
बाजार के ज्यादातर भागीदारों का मानना है कि आरबीआई रीपो और रिवर्स रीपो दर में बढ़ोतरी की संभावना नहीं है। यह भी उम्मीद है कि आरबीआई मौद्रिक नीति में समायोजन वाला रुख बनाए रख सकता है। हालांकि वित्त वर्ष 2023 के लिए मुद्रास्फीति के मौजूदा 4.5 फीसदी के अनुमान को बढ़ा सकता है। एमके ग्लोबल में लीड अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘मौद्रिक नीति समिति इस हफ्ते नीतिगत दरों और रुख को अपरिवर्तित रखने का निर्णय कर सकता है। लेकिन मुद्रास्फीति के अनुमान में 50 से 75 आधार अंक का इजाफा हो सकता है।’ अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों से पहले डॉलर के मजबूत होने से रुपये में भी नरमी देखी गई। उम्मीद की जा रही है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दर में 50 आधार अंक का इजाफ ा कर सकता है। डॉलर के मुकाबले रुपया 75.76 पर बंद हुआ। मंगलवार को रुपया 75.33 पर बंद हुआ था।