भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने आज कहा कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले से उपजी भू-राजनीतिक परिस्थितियों का असर कोविड-19 महामारी के बाद की आर्थिक रिकवरी पर पड़ सकता है। उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर आफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम के दौरान पात्र ने कहा कि इस बात के संकेत हैं कि महंगाई शीर्ष स्तर पर आ चुकी है, भले ही जिंसों के बढ़ते वैश्विक दाम की वजह से विश्व में समन्वित तरीके से मौद्रिक नीति की कार्रवाई की जा रही हो।
पात्र ने कहा, ‘भू राजनीतिक टकराव के कारण पूरी दुनिया प्रभावित है। इसकी वजह से रिकवरी खत्म होने का जोखिम है, जो विभिन्न चरणों की महामारी के बाद धीरे धीरे चल रही है। इन गतिविधियों के कारण भारत के आर्थिक स्थिति को लेकर भी चुनौतियां बढ़ी हैं। इस समय अंधेरा और परिदृश्य बहुत ज्यादा अनिश्चित है।’ उन्होंने कहा, ‘उभरते बाजारों पर रूस-यूक्रेन विवाद का बुरा असर पड़ रहा है, भले ही वे इसमें दर्शक की तरह हैं।’
उन्होंने कहा, ‘यह कहना समय पूर्व पूर्वानुमान हो सकता है, लेकिन इस बात के संकेत हैं कि महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ सकती है। मौद्रिक नीति अर्थव्यवस्था पर काम करती है और महंगाई 2022-23 की चौथी तिमाही में रिजर्व बैंक की तय सीमा में आ सकती है, लेकिन यह आधार के परिदृश्य से इतर काम कर रही है।’
प्रमुख खुदरा महंगाई दर अप्रैल में 8 साल के उच्च स्तर पर थी, जो अब कम हुई है। खाद्य कीमतें कम होने और आधार के असर के कारण यह 7.04 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसके बावजूद अभी यह लगातार पांचवां महीना है, जब सीपीआई महंगाई दर एमपीसी के मध्यावधि लक्ष्य 4 प्रतिशत (2 प्रतिशत कम या ज्यादा) के ऊपर चल रही है। इसकी वजह से मौद्रिक नीति समिति द्वारा नीतिगत दर में 90 आधार अंक की बढ़ोतरी को सही ठहराया जा सकता है।
पात्र ने कहा कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीति संबंधी फैसले उनकी अपनी विशेष स्थितियों के मुताबिक लिए जाते हैं, लेकिन महंगाई दर अभी सबसे बड़ा नीतिगत मसला है।
पात्र ने कहा, ‘इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था में बहुत ज्यादा तालमेल के साथ मौद्रिक नीति की सख्ती का चक्र चल रहा है। ऐसा दशकों में पहली बार हो रहा है कि वैश्विक स्तर पर इतने तालमेल के साथ समन्वित तरीके से काम हो रहा है। सभी कार्रवाई एक दूसरे से जुड़ी हुई दिखती है। आयातित महंगाई का दबाव बढ़ा हुआ है और किसी देश विशेष का असर भी काम कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि प्रमुख महंगाई दर अप्रैल में 80 आधार अंक बढ़ी है लेकिन मई में इतनी ही नीचे आ गई।
पात्र ने कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये की गतिविधि मनमाना नहीं चलने देगा और भारतीय मुद्रा में न्यूनतम गिरावट आई है, क्योंकि विदेशी मुद्रा का भंडार ज्यादा रहा है।
पात्र ने कहा कि रिजर्व बैंक रुपये को व्यवस्थित स्तर पर रखने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘"हम इसकी स्थिरता के लिए खड़े रहेंगे। जैसा कि मैंने कहा कि रोजाना की स्थिति के मुताबिक हम ऐसा कर रहे हैं। हम बाजार में हैं। हम अव्यवस्थित चाल की अनुमति नहीं देंगे। हमारे दिमाग में कोई स्तर नहीं है, लेकिन हम इसकी अनुमति नहीं देंगे कि झटके जैसा कुछ हो। यह व्यापक रूप से ज्ञात है कि हम बाजार में रुपये में उतार चढ़ाव का बचाव कर रहे हैं।’
शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 12 पैसे बढ़कर खुला और 78.20 पर बंद हुआ।