कोविड-19 की दूसरी लहर से मांग पर हुई असर के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है सतर्कता और सावधानी बरतने के बीच अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीदें भी बंधने लगी हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा कि दूसरे आर्थिक संकेतक अर्थव्यस्था के पटरी पर आने का संकेत देने लगे हैं। केंद्रीय बैंक ने ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ पर जून में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था कोविड महामारी से जूझ रही है, लेकिन सतर्कता के बीच उम्मीदें भी बंधी हैं।
आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘मौजूदा परिस्थितियों के बीच कोविड महामारी से केवल आंतरिक स्तर पर मांग प्रभावित हुई है। हालांकि अच्छी बात यह है कि कृषि एवं बिना संपर्क के साथ मुहैया की जाने वाली सेवाएं बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुई हैं। महामारी के बीच बरती जाने वाली सावधानियों के बीच औद्योगिक उत्पादन और निर्यात में भी तेजी आई है।’
सांख्यिकी और गणितीय प्रारूपों का हवाला देते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि जुलाई के शुरुआत तक हालात काफी सुधर जाएंगे। आरबीआई ने इस बात पर जोर दिया कि टीकाकरण की रफ्तार आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की चाल सुनिश्चित होगी। ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के असर से उबरने और दोबार रफ्तार हासिल करने की क्षमता देश की अर्थव्यवस्था में है।
आरबीआई ने जून में मौद्रिक नीति समीक्षा में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संशोधित कर 9.5 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 10.5 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान जताया था। आरबीआई ने यह सोचकर यह अनुमान दिया था कि दूसरी लहर का असर पहली तिमाही तक सीमित रह जाएगा और और इसके बाद पिछले वर्ष के न्यून आधार की वजह से वृद्धि दर का आंकड़ा अधिक रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक एक स्वतंत्र मौद्रिक नीति आगे बढ़ा रही है और इस पर राजकोषीय असर आने नहीं दिया जा रहा है। आरबीआई ने कहा कि महामाी की दूसरी लहर के बावजूद वर्ष 2021-22 में अब तक जीएसटी संग्रह पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे राज्यों के राजस्व संग्रह पर कोई खास असर नहीं होगा। मई में जीएसटी संग्रह 1,0,709 करोड़ रुपये रहा था। यह रकम पिछले वर्ष की समान अवधि में संग्रहित आंकड़े से 65 प्रतिशत अधिक था।