बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा 2021-22 में सूचित धोखाधड़ी के मामले मूल्य के हिसाब से आधे रह गए हैं। हालांकि धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ी हैं। आज जारी रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में यह सामने आया है।
2021-22 में 60,414 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की सूचना आई। यह 2020-21 के 1.38 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 56.28 प्रतिशत कम है। धोखाधड़ी की संख्या के हिसाब से देखें तो इन इकाइयों ने 23.69 प्रतिशत ज्यादा धोखाधड़ी की सूचना दी है। 2021-22 में धोखाधड़ी के मामले बढ़कर 9,103 हो गए, जबकि 2020-21 में 7,359 मामले सामने आए थे।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों में 1 लाख रुपये और इससे ज्यादा के धोखाधड़ी के मामले ही शामिल किए जाते हैं। साथ ही यह भी अहम है कि किसी साल विशेष में हुई धोखाधड़ी की रिपोर्ट में यह भी संभव है कि मामले कई साल पुराने हों। साथ ही रिपोर्ट की गई राशि से घाटे का पता नहीं चलता। यह रिकवरी पर निर्भर है कि राशि कितनी कम रह जाती है।
रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट से पता चलता है, ‘पिछले 3 साल से बैंक समूह के मुताबिक धोखाधड़ी के आंकड़ों से पता चलता है कि निजी क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी की संख्या अधिकतम हैं, जबकि धोखाधड़ी की राशि के मामले में सरकारी बैंक ऊपर हैं।’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा दी गई धोखाधड़ी की सूचना में कम राशि शामिल है, और मामले छोटे मूल्य के कार्डों व इंटरनेट धोखाधड़ी संबंधी हैं, जबकि सरकारी बैंकों में मूल्य के हिसाब से धोखाधड़ी के बड़े मामले सामने आए हैं, जो कर्ज पोर्टफोलियो के हैं।’ साथ ही संख्या व राशि दोनों हिसाब से धोखाधड़ी कर्ज पोर्टफोलियो के ज्यादा हैं। कर्ज में धोखाधड़ी के मामले मूल्य के हिसाब से 42.2 प्रतिशत हैं, जिनकी कुल राशि 58,328 करोड़ रुपये है। धोखाधड़ी के हिसाब से कार्ड व इंटरनेट की हिस्सेदारी 39.5 प्रतिशत है, जबकि इसका मूल्य महज 0.2 प्रतिशत है।