पिछले 9 साल में ऋण लेने की गतिविधियां सबसे तेज रहने, घटती अतिरिक्त नकदी और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के बीच वाणिज्यिक बैंक बाजार से जमा बढ़ाने के लिए पिछले साढ़े तीन साल की तुलना में सबसे ज्यादा ब्याज दरों का भुगतान कर रहे हैं।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि धन जुटाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा जारी 3 माह के जमा प्रमाण पत्र पर ब्याज दर 30 सितंबर को रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर में आखिरी बढ़ोतरी के बाद 58 आधार अंक की बढ़ोतरी की गई है। ट्रेजरी अधिकारियों ने कहा कि तीन माह की सीडी दरें, जो पहले 6.88 प्रतिशत पर थीं, इस समय अप्रैल, 2019 के बाद के उच्चतम स्तर पर है। सीडी दरों में बढ़ोतरी सितंबर से हो रही है।
3 माह की दरें उसके बाद से 103 आधार अंक बढ़ी हैं, क्योंकि बैंकिंग व्यवस्था में नकदी तेजी से कम हो रही है। कर्ज की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए बैंकों पर दबाव है कि वे ऋण देने के लिए धन आकर्षित करें। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि 23 सितंबर तक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में ऋण में 16.4 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि जमा दर में 9.2 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
यूको बैंक के एमडी और सीईओ सोम शंकर प्रसाद ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘दरअसल क्या हो रहा है, यह इस पर निर्भर करता है कि प्रत्येक बैंक का ऋण-जमा अनुपात क्या है। कुछ बैंकों को धन जुटाने के लिए सीडी बाजार तक पहुंचने को विवश होना पड़ा है।’ उन्होंने कहा, ‘जहां तक यूको बैंक का सवाल है, हमारी नकदी की स्थिति इस समय अच्छी है।
निश्चित रूप से जमा की तुलना में हमारा ऋण बढ़ रहा है। लेकिन हमारे पास सरप्लस एलएलआर है, इसलिए मुझे लगता है कि हम रिजर्व बैंक से उधारी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हमने अपनी जमा दर में भी मामूली बढ़ोतरी की है। अभी हमारी स्थिति बहुत बेहतर है।’बैंकों ने रिजर्व बैंक के रीपो रेट में वृद्धि की तुलना में जमा दर में बहुत कम बढ़ोतरी की है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के डारेक्टर सौम्यजीत नियोगी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि अगर व्यवस्था में नकदी की स्थिति में सुधार नहीं होता तो जमा दर में आगे और बढ़ोतरी हो सकती है।’