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वृद्धि को समर्थन के लिए नीतिगत ढील

Last Updated- December 12, 2022 | 3:31 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का मानना था कि वृद्धि को समर्थन देने के लिए मौद्रिक नीति में ढील जारी रखा जाना जरूरी है, क्योंकि महामारी की दूसरी लहर उम्मीद से कहीं ज्यादा गंभीर है।
बहरहाल इस लहर ने ग्राहकों की मांग की धारणा को व्यापक रूप से प्रभावित किया, जबकि संक्रमण को रोकने को लेकर बेहतर तालमेल के कारण आर्थिक गतिविधियां जारी रहीं और आपूर्ति शृंखला में भी बाधाओं के बावजूद समायोजन हुआ।
एमपीसी की बैठक के संपादित ब्योरे से पता चलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘कुल मिलाकर गतिविधियों में नुकसान अस्थाई रहने का अनुमान है और यह वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही तक सीमित रहेगा।’ दास ने कहा कि पुनरुद्धार और टिकाऊ विकास पर केंद्रित नीति बनाए जाने के साथ महंगाई की गति पर नजर रखने की जरूरत है।
गवर्नर दास ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने निकट की अवधि के परिदृश्य के हिसाब से सचेत किया है और रिकवरी बहाल रखने के लिए राजकोषीय, मौद्रिक व क्षेत्रवार हर तरफ से नीतिगत समर्थन की जरूरत है। ऐसा करने से स्थिति सामान्य होने की रफ्तार में तेजी लाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि आर्थिक रिकवरी को टिकाऊ बनाए रखने को समर्थन करने के लिए के लिए मौद्रिक कदमों की निरंतरता जरूरी है।
एमपीसी के 6 सदस्यों ने एक स्वर में नीतिगत रीपो दर को यथावत रखने और टिकाऊ विकास के लिए जब तक जरूरी हो, समावेशी रुख बनाए रखने का फैसला किया। रिजर्व बैंक के डिप्टी गनर्वर माइकल पात्र ने कहा कि दूसरी लहर में आपूर्ति की स्थिति तुलनात्मक रूप से लचीली बनी रही, लेकिन ‘शुद्ध निर्यात को छोड़कर कुल मिलाकर मांग प्रभावित हुई है और महामारी का प्रभाव कम करने के लिए नीतिगत समर्थन की जरूरत है।’ यहां तक कि शुद्ध निर्यात की स्थिति भी अनिश्चित है और यह टीकाकरण पर बहुत ज्यादा निर्भर है।
मौद्रिक नीति विभाग के कार्यकारी निदेशक प्रभारी मृदुल के सागर ने कहा कि अगर इस साल अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत बढ़ती है, 2021-22 में आउटपुट का स्तर महामारी के पहले के वर्ष 2019-20 की तुलना में महज 1.6 प्रतिशत ज्यादा होगा। इलके अलावा अनौपचारिक क्षेत्र पर असर अनुमान से ज्यादा हो सकता है।
सागर ने कहा कि खुदरा महंगाई दर अभी मांग से संचालित नहीं है और इस स्थिति में उत्पादन कम करने की नीति बेहतर नीतिगत चयन नहीं हो सकता। बाहरी सदस्यों ने भी कहा कि मांग पर असर सीमित रहेगा, लेकिन वे महंगाई के बढ़ते दबाव से चिंतित थे।  
शशांक भिडे ने कहा, ‘महामारी की दूसरी लहर के असर के आंकड़े सीमित हैं, परिवारों व उद्यमों के सर्वे से मिले गुणात्मक आंकड़ों से पता चलता है कि ग्राहकों व कारोबार की धारणा बहुत ज्यादा प्रभावित हुई है।’
अशिमा गोयल का कहा था कि मानव जीवन के मूल्य की गणना नहीं की जा सकती है, बहरहाल आर्थिक नुकसान सीमित है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बड़े शहरों व निगमों में टीकाकरण जुलाई अगस्त तक हो जाएगा, जिससे तेजी से स्थिति सामान्य होगी। ग्रामीण इलाकों में दूसरी लहर सुस्त सीजन में आई और बेहतर मॉनसून के कारण बुआई सामान्य रहने की उम्मीद है। विस्थापित श्रमिक भी काम के लिए उपलब्ध हैं।
जयंत वर्मा ने कहा कि महंगाई घरेलू मांग से संचालित नहीं है, लेकिन आपूर्ति का इस पर असर पड़ा है, जिसमें जिंसों के वैश्विक दाम में तेजी शामिल है। वर्मा ने कहा, ‘रिकवरी तेज होने से स्थिति बदल सकती है और एमपीसी को महंगाई की उम्मीद से होने वाले जोखिमों को लेकर निश्चित रूप से सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि बढ़ी महंगाई दर लंबे वक्त तक खिंच सकती है।’

First Published - June 18, 2021 | 11:30 PM IST

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