भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दैनिक परिचालन आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकिंग प्रणाली में नकदी प्रवाह पिछले तीन साल में पहली बार कम दिखने लगा है। इससे संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिति में ढांचागत बदलाव हो रहा है।
आरबीआई के मुद्रा बाजार परिचालन के दैनिक आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक ने 20 सितंबर को बैंकिंग प्रणाली में 21,873.43 करोड़ रुपये की शुद्ध नकदी डाली, जो मई 2019 के बाद सर्वाधिक रकम है। मुद्रा बाजार के अधिकारियों ने कहा कि इससे पता चलता है कि जो वाणिज्यिक बैंक अभी तक अपनी अतिरिक्त नकदी आरबीआई के पास जमा करा रहे थे, अब उन्हें उससे उधार लेना पड़ रहा है। वे सीमांत स्थायी सुविधा के तहत आरबीआई से 5.65 फीसदी ब्याज पर उधार ले रहे हैं।
नकदी की तंगी का पता मुद्रा बाजार की ऊंची दरों से भी चलता है। इंटर बैंक कॉल मनी रेट यानी बैंकों की आपसी उधारी दर पिछले कुछ दिनों में बढ़कर 5.85 फीसदी हो गई, जो पिछले तीन साल की अधिकतम दर है। भारित औसत कॉल दर (डब्ल्यूएसीआर) भी बढ़कर करीब 5.50 फीसदी के स्तर पर है। यह आरबीआई की मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य है। कुछ महीने पहले डब्ल्यूएसीआर करीब 4.80 फीसदी थी और रीपो दर से कम थी। मगर अब कॉल दर रीपो दर से भी अधिक है। रीपो दर फिलहाल 5.40 फीसदी है। केंद्र द्वारा जारी 364 दिनों के ट्रेजरी बिल का कटऑफ प्रतिफल इस तिमाही में अब तक 51 आधार अंक चढ़ चुका है। मुद्रा बाजार की दरें बढ़ने से पूरी अर्थव्यवस्था में कर्ज महंगा हुआ है। नकदी कम होने का संकेत इस बात से भी मिलता है कि आरबीआई 22 सितंबर को 50,000 करोड़ रुपये की ओवरनाइट परिवर्तनीय दर रीपो नीलामी करने जा रहा है। मुद्रा बाजार के प्रतिभागियों का कहना है कि बैंकिंग प्रणाली में अभी करीब 20,000 करोड़ रुपये की कमी है।
अग्रिम कर भुगतान के कारण बैंकिंग प्रणाली से भारी निकासी हुई है, जिससे नकदी प्रवाह में कमी आई है। कोविड संकट के दौरान वित्तीय बाजार का निर्बाध परिचालन बरकरार रखने के लिए आरबीआई ने मार्च 2020 से ही विभिन्न उपायों के जरिये नकदी की उपलब्धता बढ़ाना शुरू कर दी। पिछले दो साल में बैंकिंग प्रणाली में सर्वाधिक नकदी अधिशेष 10 लाख करोड़ रुपये था।
क्वांटइको रिसर्च के अर्थशास्त्री विवेक कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पिछले करीब एक साल से बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त नकदी में कमी आ रही है। कई बाहरी एवं आंतरिक कारणों से ऐसा हो रहा है। प्रचलन में मौजूद नकदी और आरक्षित जरूरतें कहीं अधिक व्यवस्थित और स्थिर हैं।’
येस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा, ‘रणनीतिक लिहाज से मुझे लगता है कि सरकार के पास अब भी भारी मात्रा में अतिरिक्त नकदी है। सरकार दूसरी छमाही में उसे खर्च कर सकती है।’