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एसबीआई की नजर सह-उधारी के माध्यम से कारोबार बढ़ाने पर

Last Updated- December 11, 2022 | 8:26 PM IST

देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक ने फाइनैंस और हाउसिंग फाइनैंस फर्मों के साथ मिलकर सह उधारी के जरिये वित्त वर्ष 2022-23 में खुदरा कारोबार 10,000 करोड़ रुपये करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत व्यक्तिगत, एमएसएमई और कृषि ऋण जैसे प्राथमिकता वाले कर्ज दिए जाएंगे।
इस समय बैंक के इस तरह के 14 समझौते हैं, जो वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 25 तक हो जाएंगे। स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक (खुदरा और डिजिटल बैंकिंग) सीएस सेट्टी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि चालू वित्त वर्ष में बैंक ने सह उधारी मॉडल को लेकर एक नीति और आंतरिक ढांचा तैयार किया है और वित्त वर्ष 23 पहला पूर्ण साल होगा जब यह गतिविधियां बढ़ेंगी।
बैंक सह उधारी के जोखिम के प्रबंधन, अकाउंटिंग, सुलह, प्रत्यक्ष हस्तक्षेप को कम करने और चूक कम करने के मकसद से डिजिटल इंटरफेस प्लेटफॉर्म बनाने के लिए आईटी वेंटर से संपर्क कर रहा है। वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में यह प्लेटफॉर्म चालू होने की संभावना है। सह उधारी की व्यवस्था का इस्तेमाल प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को उधारी देने के लिए होगा, जिसमें कृषि एवं सूक्ष्म ऋण, और सस्ते आवास जैसे खुदरा कर्ज शामिल हैं।
पिछले सप्ताह बैंक ने पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस और श्रीराम हाउसिंग फाइनैंस सहित 5 हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों के साथ समझौता किया था, जिससे सस्ते मकानों के लिए कर्ज दिया जा सके। बैंक का कुल आवास ऋण पोर्टफोलियो करीब 5.5 लाख करोड़ रुपये का है और इसमें से सस्ते आवास की हिस्सेदारी फरवरी 2022 में 2.82 लाख करोड़ रुपये थी।
दो इकाइयों ने आवास ऋण के ग्राहकों को सेवा मुहैया कराने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 20:80 सह-उधारी मॉडल (सीएलएम) को अपनाया है। एनबीएफसी और एचएफसी उधारी लेने वालों का चयन करेंगी और साथ ही उन्हें सेवाएं मुहैया कराएंगी।

First Published - March 29, 2022 | 11:35 PM IST

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