फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने और मौद्रिक नीति को आगे और भी सख्त बनाए जाने के संकेत से डॉलर के मुकाबले रुपया आज 1.1 फीसदी नरम होकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गया। डॉलर के मुकाबले रुपया 80.87 पर बंद हुआ, जो बुधवार को 79.98 पर बंद हुआ था।
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रुपये में सबसे बड़ी गिरावट आई है। डॉलर के मुकाबले रुपये में इस साल अब तक 8 फीसदी की नरमी आ चुकी है। अमेरिकी डॉलर सूचकांक 20 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया और इस साल अब तक डॉलर करीब 16 फीसदी मजबूत हुआ है।
80 का स्तर अहम माना जाता है और रुपया पहली बार इसके नीचे बंद हुआ है। पिछले तीन दिन में कारोबार के दौरान रुपया 80 के स्तर को लांघ चुका था, लेकिन अंत में यह सभंलते हुए 80 से नीचे ही बंद हुआ था। रुपये में नरमी का असर सरकारी बॉन्ड पर भी दिखा। 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 8 आधार अंक बढ़कर 7.31 फीसदी पर बंद हुआ।
सभी उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। एशियाई मुद्राओं में दक्षिण कोरिया का वॉन ही रुपये से ज्यादा 1.2 फीसदी टूटा है।
कोटक सिक्योरिटीज में मुद्रा डेरिवेटिव एवं ब्याज दर डेरिवेटिव के उपाध्यक्ष अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘बाजार में डॉलर की कमी के कारण रुपये में नरमी आई है। इस बात की संभावना थी कि फेडरल द्वारा अचानक नरम रुख अपनाए जाने से डॉलर सूचकांक में कमी आ सकती है लेकिन दांव उल्टा पड़ गया।’
रुपये की चाल पर बिज़नेस स्टैंडर्ड की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में 15 प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि डॉलर के मजबूत होने के बावजूद रुपये में आगे तेज गिरावट आने की आशंका नहीं है। इस महीने रुपया डॉलर के मुकाबले 79.50 से 82 के दायरे में कारोबार कर सकता है यानी रुपया औसतन 81 के स्तर पर रह सकता है। सर्वेक्षण के अनुसार दिसंबर अंत तक डॉलर की तुलना में रुपया 78.50 से 83 के दायरे में कारोबार कर सकता है।
फेडरल रिजर्व के ताजा संकेत से लगता है कि 2022 में ब्याज दर में कम से कम 100 आधार अंक का और इजाफा हो सकता है, जिससे डॉलर मजबूत हुआ है। रुपये की गिरावट थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया। केंद्रीय बैंक लगातार डॉलर की बिकवाली कर रहा है, लेकिन विश्लेषकों की राय इस पर बंटी हुई है।
केंद्रीय बैंक ने इस साल रुपये की गिरावट थामने के लिए हर संभव प्रयास किया है। इसकी वजह से विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 2 साल के निचले स्तर 550.87 अरब डॉलर पर आ गया है जो यूक्रेन युद्ध से पहले 631.53 अरब डॉलर था।
रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि वह रुपये में तेज उतार-चढ़ाव नहीं होने देगा, लेकिन विश्लेषक यही सोच रहे हैं कि वह मुद्रा भंडार कितना कम कर सकता है। सितंबर की शुरुआत में अनुमान लगाया गया था कि मुद्रा भंडार चालू वित्त वर्ष में 9 महीने के आयात के बराबर है जबकि एक साल पहले यह 15 महीने के आयात की भरपाई करने जितना था।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में दक्षिण एशिया की आर्थिक शोध प्रमुख अनुभूति सहाय ने कहा, ‘आज रुपये की चाल देखें तो पता चलता है कि स्थानीय स्तर पर डॉलर की कम बिकवाली हुई। इससे संकेत मिलता है कि रिजर्व बैंक रुपये में और नरमी झेल सकता है और कुछ समय तक रुपये को बाजार के अनुसार कारोबार करने दे सकता है।
इस तरह वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार का कुशलता से प्रबंधन कर सकता है।’ जून और जुलाई में रिजर्व बैंक ने हाजिर बाजार में 22 अरब डॉलर की बिकवाली की है जिसकी बदौलत बीते महीने रुपये का प्रदर्शन अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में बेहतर रहा है।
पिछले महीने डॉलर के मुकाबले रुपया 1.2 फीसदी नरम हुआ, जबकि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं में कहीं ज्यादा गिरावट आई थी। आईएफए ग्लोबल के मुख्य कार्याधिकारी अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘मुझे लगता है कि डॉलर सूचकांक में जल्द कमी आएगी। यूरो और पाउंड ऐतिहासिक निचले स्तर पर हैं।