निकट भविष्य में भारत द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने या उसे वैध करने के संबंध में कोई फैसला किए जाने की संभावना नहीं है, इसके बजाय वैश्विक सहमति बनने का इंतजार करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हम उस (क्रिप्टो) पर बहुत ज्यादा कार्रवाई नहीं दिख रही है। हमें एक परामर्श पत्र तो दिखेगा, लेकिन उससे आगे कुछ नहीं। मुझे लगता है कि अब सरकार की रणनीति किसी दिशा में बड़ा कदम उठाने के बजाय वैश्विक कदमों का इंतजार करने की है।
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कुछ दिन पहले कहा था कि घरेलू और बहुपक्षीय संस्थानों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों पर तैयार परामर्श पत्र जारी किए जाने के लिए लगभग तैयार है।
एक अन्य अधिकारी के अनुसार सरकार ने फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के दिशानिर्देशों का पालन करने के संबंध में भी चिंता जताई है और अन्य देशों के साथ इस पर चर्चा की है।
एफएटीए मानक संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और आतंकवाद को रोकने के लिए समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया सुनिश्चित करते हैं। ये मानक ऐसे अपराधों से सृजित धन की रोकथाम के लिए भी अधिकारियों की मदद करते हैं। कई अन्य देशों की तरह भारत वर्तमान में क्रिप्टो संपत्ति के संबंध में एफएटीएफ का अनुपालन नहीं करता है। एफएटीएफ के लिए यह जरूरी होता है कि देश क्रिप्टो परिसंपत्तियों को वैध बनाने या प्रतिबंधित करने के संबंध में स्पष्ट रुख अपनाएं। क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए या नहीं, इसे लेकर सरकारी विभागों के अलग-अलग विचार हैं। अलबत्ता, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) क्रिप्टो परिसंपत्तियों से जुड़े जोखिम की वजह से इन पर पूर्ण प्रतिबंध के पक्ष में रहा है।
पिछले महीने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों के संबंध में केंद्रीय बैंक के विचार एकसमान बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि क्रिप्टो पर हमारी स्थिति काफी स्पष्ट है। यह भारत की मौद्रिक, वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता को गंभीर रूप से कमजोर कर देगी।