बीएस बातचीत
पिछले कुछ सप्ताहों से बाजारों के लिए राह उतार-चढ़ाव भरी रही। एबेकस ऐसेट मैनेजर के संस्थापक सुनील सिंघानिया ने एक साक्षात्कार में पुनीत वाधवा को बताया कि भले ही कोविड और बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल से जुड़ी खबरों की वजह से भारी गिरावट आई है, लेकिन वह बाजारों पर सकारात्मक बने हुए हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
क्या आप मानते हैं कि बाजारों में गिरावट की कई वजह हैं?
चालू वर्ष 2020 एक खास वर्ष रहा, क्योंकि इसमें हाल के वर्षों में बाजार में सबसे बड़ी गिरावट में से एक दर्ज की गई और समान रूप से तेज रिकवरी भी हुई।कई शेयर काफी चढ़े हैं और कोविड-पूर्व स्तरों से भी ऊपर कारोबार कर रहे हैं। इसके अलावा बुनियादी आधार भी तेजी से सुधरा है और यह उम्मीद से काफी बेहतर रहा है। भारी आय वृद्घि, कम ब्याज दरों और पर्याप्त तरलता को देखते हुए मुख्य फोकस अब फिर से पूंजीगत खर्च एवं वृद्घि पर है और हम कोविड तथा बॉन्ड प्रतिफल में वृद्घि से संबंधित खबरों से आई गिरावट के बाद भी बाजारों पर सकारात्मक बने हुए हैं।
क्या विभिन्न शहरों में छिटपुट लॉकडाउन से अल्पावधि से मध्यावधि में बाजार चिंतित हो सकते हैं?
विभिन्न शहरों और दुनिया के कई हिस्सों में कोविड मामलों की संख्या घट रही है और बढ़ रही है। हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल में टीके की पेशकश तेजी से की गई है और यह इस बात का पर्याप्त सबूत है कि प्रयास कारगर साबित हो रहे हैं और मामले घट रहे हैं। जब तक बड़ी तादाद में वैश्विक आबादी को टीका नहीं लगता, तब तक विभिन्न शहरों में मामले आते रहेंगे। अब तक नए लॉकडाउन सिर्फ स्थानीय तौर पार सीमित हैं और वे पूरी तरह से नहीं लगाए गए हैं।
बाजारों में बढ़ती जिंस कीमतों को देखते हुए वृहद हालात पर संभावित दबाव का कितना असर दिख रहा है?
लंबी मंदी के बाजार के बाद जिंस कीमतें चढ़ी हैं। यह ऊंची मांग, कुछ बंदी का समावेश है, क्योंकि निवेश से मांग भी बढ़ी है। निश्चित तौर पर कुछ मुद्राफीति प्रभाव होगा। तेल के मोर्चे पर, हालांकि कीमतें चढ़ी हैं, यह काफी हद तक आपूर्ति संबंधित अनुशासन और अमेरिका में कुछ मौसम केंद्रित उत्पादन बंद किए जाने की वजह से है। मांग परिदृश्य कमजोर बना हुआ है और अक्ष्य ऊर्जा क्षेत्र नरम हुआ है, दुनिया कार्बन से मुक्त होने की कोशिश कर रही है और इसलिए तेल कीमतों पर मध्यावधि से दीर्घावधि नजरिया कमजोर है।
क्या अगले कुछ महीनों के दौरान आपको ज्यादा व्यापक भागीदारी की उम्मीद है?
पिछले कुछ वर्षों में, किसी कीमत पर गुणवत्ता जरूरी थी, क्योंकि निवेशक समान शेयरों पर जोर दे रहे थे। अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू हुआ है। वृद्घि अब पटरी पर लौटती दिख रही है और पूंजीगत खर्च में भी तेजी आई है जिससे प्रमुख बाजारों का प्रदर्शन अच्छा रहने की संभावना है। पिछले 6 महीनों से नए रुझान का असर मिडकैप और स्मॉलकैप के प्रदर्शन पर दिखना शुरू हो गया है।
क्या आय पर फिर से दबाव का जोखिम है, खासकर वित्त वर्ष 2022 की तीसरी और चौथी तिमाही में, क्योंकि उत्पादन लागत बढ़ी है?
कुछ कंपनियों और क्षेत्रों को उत्पादन लागत में वृद्घि की वजह से मार्जिन पर निश्चित तौर पर कुछ दबाव का सामना करना पड़ेगा। हालांकि बिक्री वृद्घि से ऊंचे कच्चे माल की लागत का कुछ प्रभाव दूर हो सकता है। यात्रा आदि जैसी अन्य लागत में नरमी और कम ब्याज खर्च से भी कर-बाद लाभ (पीएटी) वृद्घि में मदद मिलने की संभावना है। इसके अलावा, भारत एक विविधता वाला देश है और जिंस कीमतों में तेजी का कुछ क्षेत्रों को लाभ मिलेगा।
आपके ओवरवेट और अंडरवेट सेक्टर कौन से हैं?
हम आईटी और डिजिटल शेयरों को लेकर सकारात्मक बने हुए हैं। कॉरपोरेट बैंकों, चुनिंदा एनबीएफसी और खास इंजीनियरिंग कंपनियां ऐसे थीम हैं जिन्हें हम पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा, टियर-2 और टियर-3 शहरों और अन्य शबरों ने हमारे पोर्टफोलियो में अहम योगदान दिया है। फार्मा ने पिछले 6 महीने में कमजोर प्रदर्शन किया है और हमारा मानना है कि इस क्षेत्र में फिर से लोकप्रियता दिख सकती है।
दुनिया में महामारी फैले करीब एक साल हो गया है। इस अवधि में पोर्टफोलियो प्रबंधक के तौर पर आपका अनुभव कैसा रहा है?
सबसे बड़ी अनुभव यह रहा कि आप सिर्फ उसी के लिए योजना बना सकते हैं तो स्पष्ट हो। हम अचानक कुछ कार्य नहीं कर सकते। इसके अलावा, यह वर्ष सबसे बड़ा अवसर भी बना। हमारे लिए, सकारात्मक बने रहने की रणनीति हमेशा कारगर रही।