इक्विटी म्युचुअल फंडों (एमएफ) द्वारा अप्रैल में लगातार दूसरे महीने मजबूत शुद्घ प्रवाह का आंकड़ा दर्ज किए जाने की संभावना है। हालांकि उतार-चढ़ाव बने रहने से ताजा निवेश की रफ्तार सीमित रह सकती है। जहां आधिकारिक आंकड़ा आना बाकी है, वहीं 32 लाख करोड़ रुपये के म्युचुअल फंड उद्योग के लिए एक और सकारात्मक महीना दर्ज किए जाने का संकेत है। मुख्य इक्विटी योजना श्रेणियों की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में अप्रैल में तेजी दर्ज की गई। इसके अलावा, उद्योग के जानकारों का कहना है कि बिकवाली दबाव घटा है क्योंकि कुछ निवेशकों ने बाजार में आई कमजोरी का इस्तेमाल खरीदारी के अवसर के तौर पर किया है। इसका असर पिछले महीने एमएफ इक्विटी खरीदारी के तौर पर दिखा। देश के सबसे बड़े फंड हाउस एसबीआई एमएफ में मुख्य व्यावसायिक अधिकारी डी पी सिंह ने कहा, ‘अप्रैल में, हमने कोई बड़ी बिकवाली नहीं देखी और सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का बहीखाता मजबूत बना रहा। इसलिए मेरा मानना है कि यह एक सकारात्मक महीना माना जा सकता है।’
इक्विटी-आधारित योजनाओं ने आठ महीने के अंतराल के बाद मार्च में 9,100 करोड़ रुपये का शुद्घ पूंजी प्रवाह आकर्षित किया था। जुलाई 2020 और इस साल फरवरी के बीच की अवधि में, ऐसी योजनाओं ने 52,725 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की, भले ही इस अवधि के दौरान सेंसेक्स में 40 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई। कई इक्विटी उप-श्रेणियों ने अप्रैल में मासिक आधार पर एयूएम में वृद्घि दर्ज की, भले ही बाजारों की रफ्तार सपाट बनी रही। लार्ज-कैप फंडों, फ्लेक्सी-कैप फंडों, और मिड-कैप फंडों जैसी श्रेणियां अपनी परिसंपत्तियों में मजबूत वृद्घि दर्ज कर चुकी हैं।
एमएफ लगातार दूसरे महीने नकदी बाजार में शुद्घ खरीदार रहे। अप्रैल में, उन्होंने करीब 6,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे वैश्विक निवेशकों द्वारा की गई बिकवाली को कुछ हद तक समायोजित करने में मदद मिली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अप्रैल में करीब 14,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे, जो मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी बिकवाली है। मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत हुई थी। घरेलू इक्विटी फंड प्रंधकों ने बाजार में बिकवाली दबाव की वजह से जुलाई 2020 और फरवरी 2021 के बीच भारतीय शेयरों से करीब 1.23 लाख करोड़ रुपये निकाले थे।
मिरई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के मुख्य कार्याधिकारी स्वरूप मोहंती ने कहा, ‘मार्च से पहले के महीने में, सकल बिक्री बरकरार थी, लेकिन बिकवाली तेज रही। ऐसा लगता है कि पिछले दो महीनों में, बिकवाली की रफ्तार धीमी पड़ी है, और सकल बिक्री लगातार मजबूत बनी हुई है।’ समीक्षाधीन महीने में फंडों में निवेश और बिकवाली के बीच अंतर बना रहा। परिसंपत्तियों में बड़ी तेजी दर्ज करने वाली श्रेणियां स्मॉलकैप और मिडकैप रहीं। म्युचुअल फंडों के संगठन एम्फी के आंकड़े से पता चलता है कि स्मॉलकैप फंड श्रेणी के लिए एयूएम मार्च 2021 के 68,,616 करोड़ रुपये से बढ़कर 71,619 करोड़ रुपये हो गया। मिड-कैप सेगमेंट की एयूएम अप्रैल में 2,997 करोड़ रुपये तक बढ़कर 1.19 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
प्रमुख सूचकांकों ने अप्रैल में शानदार प्रदर्शन किया। बीएसई स्मॉलकैप और बीएसई मिडकैप सूचकांकों में 4.9 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत की तेजी आई, भले ही सेंसेक्स में 1.5 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई। बाजार कारोबारियों का कहना है कि जहां ताजा पूंजी अप्रैल में बरकरार नहीं रह सकती, वहीं एसआईबी बहीखाता मजबूत बना रहा, क्योंकि कई निवेशकों ने मार्च से इसकी शुरुआत कर दी थी।
मार्च में, एमएफ उद्योग ने 16.7 लाख नए एसआईपी खाते जोड़े थे, जो 2020-21 के लिए सर्वाधिक और वित्त वर्ष के लिए मासिक औसत के मुकाबले 42 प्रतिशत अधिक था। एसआईपी बंद होने की संख्या भी मार्च में पूर्ववर्ती महीने के 7.9 लाख से घटकर 7.1 लाख रह गई। एसआईपी विकल्प के जरिये कुल योगदान भी मार्च में बढ़कर 9,182 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो फरवरी में 7,528 करोड़ रुपये पर था। अधिकारियों को अप्रैल में एसबीआई बहीखाता 8,500 करोड़ रुपये के आसपास रहने की संभावना है।
हालांकि, फंड हाउस देश में कोविड की बिगड़ती स्थिति की वह से बाजारों में पैदा हुई ताजा अस्थिरता से चिंतित हैं। एक मझोले आकार के फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, ‘यदि दूसरी लहर की वजह से उतार-चढ़ाव में तेजी आती है तो उद्योग एक बार फिर से कुछ बिकवाली दबाव देख सकता है। हम उद्योग में बड़े निवेशकों के प्रवेश की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यदि बाजार अस्थिर बना रहा तो वे इक्विटी फंडों से परहेज कर सकते हैं।’