लॉकडाउन के दौरान कर्ज की किस्त (ईएमआई) रोकने यानी मॉरेटोरियम की जो सहूलियत सरकार ने दी थी, उसका फायदा हरेक तबके के लोगों ने उठाया। मगर मॉरेटोरियम की अवधि के दौरान रोकी गई किस्तों के ब्याज पर ब्याज वसूलने का भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का फैसला कम लोगों की ही रास आया और मामला सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया। अदालत की आपत्ति के बीच सरकार ने कहा है कि वह मॉरेटोरियम के दौरान कर्जधारकों के बकाया ब्याज पर लगाया गया ब्याज माफ करने यानी उसका बोझ खुद उठाने के लिए तैयार है। अदालत में सौंपे हलफनामे में सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने वालों को ही यह फायदा देने की बात कही है। लेकिन अगर आपने भी मॉरेटोरियम का फायदा लिया था तो क्या वाकई सरकार का यह प्रस्ताव आपके लिए राहत लाएगा?
एक आसान उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार का यह कदम कैसे काम करेगा और आपको इससे कैसे राहत मिलेगी। मान लीजिए कि मॉरेटोरियम शुरू होने से पहले आप पर 1 लाख रुपये का कर्ज था। इस पर 10 फीसदी की दर से ब्याज लगता था और आपको 5 साल के भीतर यह कर्ज चुकाना था। इस हिसाब से आपकी ईएमआई 2,027 रुपये बनती थी, जिसमें 1,361 रुपये मूलधन और 667 रुपये ब्याज के थे। डिजिटल होम लोन ब्रोकर कंपनी स्विचमी के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी आदित्य मिश्रा कहते हैं, ‘जब आप मॉरेटोरियम लेते हैं तो आप ईएमआई में शामिल मूलधन का भुगतान नहीं करते हैं। मगर बकाया कर्ज पहले जितना ही रहता है और उसमें किसी तरह की कमी नहीं आती। असली पेच यह है कि इस दौरान आप ब्याज भी नहीं चकाते हैं। इसलिए जो भी ब्याज आप नहीं चुका रहे हैं, वह आपके बकाया कर्ज में जुड़ता जाता है यानी आपका कर्ज लगातार बढ़ता रहता है।’
जो उदाहरण हमने दिया है, उसमें मॉरेटोरियम का पहला महीना खत्म होने पर ब्याज के 667 रुपये जुड़ जाएंगे और आपका कुल बकाया कर्ज 1,00,667 रुपये हो जाएगा। इसलिए दूसरे महीने में ईएमआई 1 लाख रुपये के हिसाब से नहीं बल्कि 1,00,667 रुपये के हिसाब से बनेगी और जाहिर तौर पर उसमें ब्याज 667 रुपये से अधिक होगा। दूसरा महीना खत्म होने पर उसका ब्याज यानी 667 रुपये से ज्यादा रकम 1,00,667 रुपये में जुड़ जाएगी और यह सिलसिला मॉरेटोरियम की बाकी अवधि में बदस्तूर चलता रहेगा यानी आपका बकाया कर्ज पहले से काफी ज्यादा हो जाएगा।
इसे आप ऐसे भी मान सकते हैं कि आपके कर्ज में पहले साधारण ब्याज तो शामिल ही था अब चक्रवृद्घि ब्याज भी जुड़ता जाएगा। चक्रवृद्घि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच का जो अंतर है, उसे ही ब्याज पर ब्याज कहा जा रहा है और सरकार उसे ही माफ करने की बात कर रही है। सरकार उस अंतर यानी ब्याज पर लगने वाले ब्याज को तो माफ कर देगी मगर साधारण ब्याज आपके कर्ज की राशि यानी मूलधन में पहले की तरह जुड़ता रहेगा, जिससे कर्ज की राशि भी लगातार बढ़ती रहेगी और मॉरेटोरियम के बाद आप पर चढ़ा कर्ज मॉरेटोरियम से पहले के कर्ज के मुकाबले ज्यादा होगा। मिश्रा समझाते हैं, ‘याद रखिए कि राहत उपाय के तहत आपका ब्याज माफ नहीं किया जा रहा है। ब्याज पर लगने वाले ब्याज को ही खत्म करने की बात ही कही गई है। असल में साधारण ब्याज का जो बोझ है वही सबसे ज्यादा है।’
तो मॉरेटोरियम का फायदा उठाने वाले कर्जदार क्या करें? फिलहाल उन्हें चुपचाप बैठकर इंतजार करना चाहिए। इस मामले में जो मुकदमा चल रहा है, उस पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने दें। जब फैसला आएगा तो सरकार शायद विस्तार के साथ बताएगी कि वह किस तरह की राहत दे रही है और उसे देने का तरीका क्या होगा। उसके बाद आपको यह देखना होगा कि बैंक किस तरह उस फैसले या राहत को लागू करते हैं और कर्जदारों को उसका फायदा कैसे देते हैं। कर्जदारों की एक जमात और है, जो अपने कर्ज का पुनर्गठन कराना चाहती है। रिजर्व बैंक के निर्देशों के बाद कुछ बैंकों ने उन कर्जदारों के कर्ज का पुनर्गठन करने यानी कुछ खास शर्तों के साथ उन्हें कर्ज चुकाने में रियायत या मोहलत देने का फैसला किया है, जिनकी आर्थिक स्थिति लॉकडाउन के कारण वाकई खराब हो गई है।
मगर पुनर्गठन की इच्छा रखने वाले कर्जदारों को और भी अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। माईमनीमंत्रा के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक राज खोसला कहते हैं, ‘कर्ज के पुनर्गठन के लिए आपके सामने रखे जाने वाले करारनामे को अच्छी तरह से पढ़ लें और सभी बारीक बातों को समझ लें क्येांकि इस मामले में हरेक बैंक के अलग-अलग कायदे-कानून होते हैं। करारनामा अच्छी तरह पढ़कर यह भी देख लें कि कोई ऐसा शुल्क तो आप पर नहीं थोपा जा रहा है, जिसका जिक्र शुरुआती बातचीत में किया ही नहीं गया था।’
मॉरेटोरियम लेने के कारण आप पर ब्याज का जो भारी-भरकम बोझ जमा हो गया है, उससे निजात कैसे मिले? इसका सबसे अच्छा और सीधा तरीका है वक्त से पहले कर्ज चुका देना। बैंकबाजार के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी की सलाह यही है। वह कहते हैं, ‘इसके लिए आप बाउंस बैक की तरकीब आजमा सकते हैं। मॉरेटोरियम के दौरान आपने जो भी किस्तें टाली हैं, उन्हें आपस में जोड़ लें। जो रकम आपके सामने आती है, उसका 120 फीसदी आप आप सितंबर, 2020 के बाद से 12 महीने के भीतर चुका दें। आसान शब्दों में कहें तो अगर आपने 5 ईएमआई नहीं चुकाई हैं तो 12 महीने में 6 ईएमआई ज्यादा चुका डालें। ऐसा करेंगे तो मॉरेटोरियम की वजह से आप पर अतिरिक्त ब्याज का जो भी बोझ चढ़ा है वह उतर जाएगा।’