पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के पेंशन कोष प्रबंधकों (पीएफएम) को निवेश प्रबंधन शुल्क में बढ़ोतरी करने यानी पहले से ज्यादा शुल्क वसूलने की इजाजत दे दी है। हरेक श्रेणी के लिए शुल्क का नया ढांचा 1 अप्रैल से लागू हो गया है। इस ढांचे में दिए गए शुल्क को वे प्रबंधक वसूल सकते हैं, जिन्हें 30 मार्च को मान्यता के नए प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।
पेंशन फंड उद्योग से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि शुल्क में बढ़ोतरी कोष प्रबंधकों के लिए अच्छी है क्योंकि इससे उनके लिए कारोबार करना फायदेमंद हो जाएगा। एक सूत्र ने कहा कि पहले केवल 0.01 फीसदी यानी 1 आधार अंक शुल्क मिल रहा था, जो बेहद कम था और जिसकी वजह से उद्यमियों को नुकसान उठाना पड़ रहा था। आम तौर पर शुल्क बढ़ोतरी को ग्राहकों के लिहाज से प्रतिकूल माना जाता है मगर वित्तीय योजनाकार नहीं मानते कि इससे उनके कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा या लोग एनपीएस से दूरी बना लेंगे। मनीएडुस्कूल के संस्थापक अर्णव पांड््या ने कहा, ‘नया शुल्क भी बहुत कम है। निवेशकों को शुल्क में अंतर मुश्किल से ही महसूस होगा। वैसे भी शुल्क का ढांचा चरणबद्घ और स्लैब पर आधारित है। इस बढ़ोतरी के बाद औसत शुल्क 1 आधार अंक से बढ़कर शायद 3-4 आधार अंक ही हो रहा है।’
पर्सनलफाइनैंसप्लान के संस्थापक दीपेश राघव कहते हैं, ‘अगर पेंशन फंड में पड़ी हुई रकम का प्रबंधन अच्छी तरह से किया जा रहा है तो नया शुल्क ठीक ही है।’
म्युचुअल फंड कंपनियां जो इक्विटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) चलाती हैं, उनमें 0.05 से 1.08 फीसदी तक खर्च अनुपात वसूला जाता है। ऐसे डेट ईटीएफ भी गिने-चुने ही हैं, जो 0.05 फीसदी या उससे कम शुल्क वसूलते हैं। इंडेक्स फंड (प्रत्यक्ष) 0.05-0.91 फीसदी तक शुल्क लेते हैं और नियमित इंडेक्स फंड 0.3 से 1.19 फीसदी तक शुल्क वसूल करते हैं। सक्रिय रूप से प्रबंधित इक्विटी एवं डेट फंड तो और भी ज्यादा शुल्क लेते हैं।
विशेष कर लाभ
एनपीएस के संग अच्छी बात यह है कि कम खर्च के साथ ही उसमें कई तरह के फायदे भी मिलते हैं। चूंकि इस योजना में 60 साल की उम्र से पहले रकम निकासी मुश्किल है, इसलिए आम तौर पर रिटायर होने तक निवेशक की अच्छी खासी रकम इसमें जमा हो जाती है। इसमें परिसंपत्ति आवंटन की चिंता भी प्रबंधक खुद ही कर लेते हैं। पांड््या कहते हैं, ‘जिन लोगों को बाजार की समझ है, वे परिसंपत्ति आवंटन खुद ही करने का विकल्प चुन सकते हैं। लेकिन जिन लोगों को बाजार समझ नहीं आता, उनके लिए स्वत: आवंटन का विकल्प चुनना ही अच्छा है क्योंकि उसमें उम्र के हिसाब से आवंटन बदलता रहता है।’ इसमें पोर्टफोलियो को निवेशक की सालगिरह पर नए सिरे से संतुलित किया जाता है। राघव कहते हैं, ‘जो निवेशक पोर्टफोलियो संभालने का जिम्मा खुद ले लेते हैं, उनमें से ज्यादातर ऐसा कर ही नहीं पाते हैं। ध्यान रखने की बात यह भी है कि एनपीएस में पोर्टफोलियो को नए सिरे से संतुलित करने पर किसी भी तरह की कर देनदारी पैदा नहीं होती है।’ जब निवेश की उम्र 60 साल हो जाती है तो एनपीएस में मौजूद कुल रकम की 40 फीसदी एन्युटी में डाल दी जाती है और उससे निवेशकों को जिंदगी भर पेंशन मिलती है। इसके साथ ही निवेशकों को आयकर अधिनियम की धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये का विशेष कर लाभ भी मिलता है।
मगर रकम लंबी फंसेगी
एनपीएस में निवेश करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि इसमें रकम 60 साल की उम्र तक के लिए फंसानी पड़ती है। यह लॉक-इन अवधि वाकई लंबी है और उन लोगों को शायद पसंद नहीं आएगी, जिनका अधिक तरलता वाली योजनाओं यानी किसी भी समय रकम निकासी की सुविधा देने वाली योजनाओं में अधिक निवेश नहीं है। यह भी हो सकता है कि कुछ निवेशकों को 60 साल की उम्र में 40 फीसदी रकम एन्युटी में डालने की अनिवार्य शर्त पसंद नहीं आए। जो लोग 60 साल की उम्र होने से पहले ही रिटायर हो जाते हैं और अपनी रकम निकालना चाहते हैं, उन्हें कुल जमा रकम का 80 फीसदी हिस्सा एन्युटी में छोडऩा होगा।
तो आप क्या करें?
एनपीएस में निवेश करने या नहीं करने के आपके फैसले पर शुल्क ढांचे में बदलाव का कोई असर नहीं होना चाहिए। अगर आपको 50,000 रुपये का कर लाभ नहीं चाहिए और वित्तीय मामलों या निवेश में आप पूरा अनुशासन बरतते हैं तथा आप किसी भी समय अपने निवेश को निकालने की सहूलियत चाहते हैं तो आप सेवानिवृत्ति के लिए एनपीएस के बजाय ऐसे इंडेक्स फंड में भी निवेश कर सकते हैं, जिसमें खर्च अनुपात केवल 5 से 10 आधार अंक है।
एनपीएस निवेशकों से निवेश प्रबंधन शुल्क तो वसूला ही जाता है, उन्हें कुछ और प्रकार के शुल्क भी चुकाने पड़ते हैं। इनमें से एक सालाना रखरखाव श्खुल्क है, जिसे रिकॉर्ड रखने वाली केंद्रीय एजेेंसी वसूलती है। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी बतौर शुल्क 95 रुपये वसूलती है और केफिनटेक आपसे 57.63 रुपये का शुल्क लेती है। इतना ही नहीं, जब भी आप निवेश करते हैं, आपको अंशदान प्रोसेसिंग शुल्क चुकाना पड़ता है। यह शुल्क अंशदान की राशि (कम से कम 20 रुपये और अधिकतम 25,000 रुपये) का 0.25 फीसदी होता है। अगर आप इस शुल्क से बचना चाहते हैं तो आपको ईएनपीएस खाता खोलना चाहिए।