परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों या एएमसी के शेयर हमेशा से बाजार के उत्साह से लाभान्वित होते रहे हैं, क्योंकि उन्हें भारत के वित्तीय थीम के तौर पर देखा जाता रहा है, या ज्यादातर लोग सोने या रियल एस्टेट जैसे पारंपरिक निवेश के बजाय वित्तीय उत्पादों में निवेश पसंद करते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि यदि जून 2020-फरवरी 2021 के बीच के 9 महीनों के लिए भी, एएमसी ने भाी निकासी, (खासकर इक्विटी पोर्टफोलियो में) की वजह से औसत एयूएम में भारी उतार-चढ़ाव दर्ज किया, लेकिन बाजार फिर भी ज्यादा चिंतित नहीं था। एचडीएफसी एएमसी और निप्पॉन लाइफ एएमसी एक साल में 20-23 प्रतिशत मजबूत हुए, यूटीआई एएमसी ने अक्टूबर में सूचीबद्घता के बाद से 23 प्रतिशत की शानदार तेजी दर्ज की। हालांकि 2021 में इस साल अब तक के आधार पर शेयरों (निप्पॉन को छोड़कर) को लाभ बरकरार रखने के लिए चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
एम्फी के अनुसार, निवेशकों के लिए, मार्च के ताजा आंकड़े से कुछ राहत मिली है जिसमें इक्विटी योजनाओं के लिए 11,485 करोड़ रुपये के शुद्घ पूंजी प्रवाह का संकेत दिया गया, हालांकि लिक्विड या मनी मार्केट श्रेणी से बिकवाली की वजह से पूरे म्युचुअल फंड उद्योग ने सभी सेगमेंट में 2.13 लाख करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की। नोमुरा के विश्लेषकों का कहना है कि इक्विटी बाजारों में भारी तेजी के बीच, एमएफ एयूएम में बड़ी कमी आई है, हालांकि वे परिवेश को लेकर सतर्क बने हुए हैं।
इसके अलावा महंगे मूल्यांकन के संदर्भ में, ये दृष्टिकोण दो वजहों से उचित दिख रहा है- मार्च के प्रवाह की निरंतरता 1-2 तिमाहियों तक परखी जाएगी और वित्त वर्ष 2022 में वित्तीय प्रदर्शन कैसा बना रहेगा।
बीएसई के अनुसार घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई, एमएफ समेत) के आंकड़े से इसे लेकर मजबूत रुझान का संकेत नहीं मिलता है कि डीआईआई शुद्घ खरीदारी बने हुए हैं। 1-9 अप्रैल तक, डीआईआई ने भारतीय इक्विटी बाजारों में 858 करोड़ रुपये की शुद्घ खरीदारी की, जबकि 31 मार्च को वे 2,082 करोड़ रुपये के शुद्घ खरीदार थे। 4 अप्रैल तक एमएफ के संबंध में सेबी के पास उपलब्ध आंकड़े से पता चलता है कि एएमसी शायर इक्विटी के शुद्घ बिकवाली बने रहे और उन्होंने 403 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इसके अलावा कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर और विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन से इक्विटी के लिए परिदृश्य बाद में अल्पावधि के लिए अस्थिर हो गया और इसलिए मार्च में इक्विटी प्रवाह की निरंतरता एएमसी शेयरों के लिए सकारात्मक बनी रही, क्योंकि एएमसी की तरफ रुझान अनुकूल हो गया।
मार्च को ऐतिहासिक तौर पर कई कारणों (कर बचत समेत) से सभी श्रेणियों की बचत योजनाओं के लिए अच्छा महीना समझा जाता है। एमएफ को मिलने वाली कर राहत को देखते हुए मार्च को इक्विटी के लिए शुद्घ खरीदारी रुझान में सुधार वाली अवधि के तौर पर देखा जा सकता है और इस बारे में निर्णय लेना जल्दबाजी हो सकती है कि बिकवाली दबाव की गंभीरता बीत गई है। इसके अलावा, भले ही पूर्ववर्ती महीने के मुकाबले एसआई संबंधित आंकड़े से सुधार का संकेत मिलता है, लेकिन विश्लेषक और उद्योग इसे लेकर
सतर्क हैं।
दरअसल, वित्त वर्ष 2021 के ज्यादातर समय में बिकवाली के साथ वित्त वर्ष 2021 के 9 महीनों के लिए वित्तीय स्थिति ज्यादा सहज नहीं है और निराशा खासकर दिसंबर तिमाही में दिख चुकी है। उदाहरण के लिए, एचडीएफसी एएमसी अब एसबीआई एएमसी के हाथों बाजार भागीदारी गंवाने के साथ दूसरी सबसे बड़ी कंपनी रह गई है। तीसरी तिमाही के लिए, एचडीएफसी एमएसी और निप्पॉन एएमसी ने परिचालन से राजस्व में सालाना आधार पर 8 और 11 प्रतिशत की कमी दर्ज की। जहां एचडीएफसी एमएसी की शुद्घ मुनाफा वृद्घि 5 प्रतिशत तिमाही के निचले स्तर पर थी, वहीं निप्पॉन लाइफ का शुद्घ लाभ (अन्य आय के समायोजन के साथ) सालाना आधार पर 10 प्रतिशत तक बढ़ा। जहां निप्पॉन लाइफ अभी भी रिलायंस कैपिटल के साथ विभाजन के बाद समेकन की स्थिति में है, और इसलिए उसका अपेक्षाकृत सुस्त प्रदर्शन समझने योग्य है, लेकिन एचडीएफसी एएमसी का प्रदर्शन निराशाजनक है। बाजार भागीदारी में लगातार कमजोरी के साथ एचडीएफसी एएमसी की औसत एयूएम बाजार भागीदारी तीसरी तिमाही में घटकर 14.2 प्रतिशत रह गई।
पांचवें क्रम में शुमार यूटीआई एएमसी के लिए, तीसरी तिमाही के प्रदर्शन से प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कुछ बेहतर प्रदर्शन का संकेत मिलता है। परिसंपत्ति के पुन: मूल्यांकन से उसकी आय को मजबूती (सालाना आधार पर 40 प्रतिशत तक) मिली, क्योंकि मुख्य आय स्रोत सालाना आधार पर सात प्रतिशत बढ़ा। इस संदर्भ में, शेयर मूल्यांकन सस्ता नहीं है। इसलिए चौथी तिमाही का परिणाम कंपनी की वित्तीय ताकत का अंदाजा लगाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।