प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels
भारत सरकार कर्ज में डूबी सरकारी बिजली वितरण कंपनियों को नकद सहायता देने पर विचार कर रही है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार यह कदम बिजली की बढ़ती मांग के बीच इस क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने के लिए कर रही है। इस सप्ताह जारी किए गए डॉक्यूमेंट में ऐसे राज्यों की पहचान करने के लिए एक मिनिस्ट्रियल ग्रुप बनाने की बात कही गई है, जिन्हें तत्काल नकदी सहायता की जरूरत है। इसके अलावा, यह ग्रुप “वित्तीय अनुशासन कार्यक्रम” (Fiscal Discipline Program) तैयार करेगा ताकि ये कंपनियां कर्ज के जाल में फंसने से बच सकें और साथ ही निजी निवेश में ला सकें।
यह 2021 के बाद पहली बार होगा जब केंद्र सरकार राज्य की बिजली वितरण कंपनियों में नकद सहायता देगी। 2021 में सरकार ने इस पर 35 अरब डॉलर खर्च किए थे।
बिजली मंत्रालय के डॉक्यूमेंट में यह भी सुझाव दिया गया है कि बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण किया जाए। फिलहाल, इनका संचालन ज्यादातर राज्य सरकारें करती हैं, लेकिन ये बिजली की दरें आसानी से नहीं बढ़ा सकतीं। इसके अलावा इन कंपनियों को बिजली खरीद की लागत, ट्रांसमिशन और वितरण में नुकसान और ग्राहकों से भुगतान में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष तक, इन वितरण कंपनियों का कुल घाटा 75 अरब डॉलर था, जो राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2.4% था। भारतीय रिजर्व बैंक की 19 दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 65 राज्य सरकार द्वारा संचालित बिजली वितरण कंपनियां (DISCOMs) हैं।
बिजली मंत्रालय के डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) की वित्तीय स्थिति को सुधारना बिजली की निर्बाध और विश्वसनीय आपूर्ति बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
DISCOMs को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें शामिल हैं:
अपर्याप्त टैरिफ संरचना (Inadequate Tariff Structures)
बिजली खरीद की बढ़ती लागत (Rising Power Procurement Costs)
हाई ट्रांसमिशन और वितरण के दौरान आने वाला नुकसान (High Transmission and Distribution Losses)
देरी से भुगतान (Delayed Payment Collections)
ये सभी कई समस्याओं को जन्म देती हैं जिनमें राजस्व घाटे और परिचालन में आने वाली मुश्किलें भी शामिल हैं।
डॉक्यूमेंट में बताया गया कि मिनिस्ट्रियल ग्रुप की पहली बैठक 30 जनवरी को हुई थी, और वे इस महीने फिर से मिलने वाले हैं ताकि बिजली कंपनियों के लिए एक वित्तीय पैकेज पर चर्चा की जा सके। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस समूह में कौन-कौन मंत्री शामिल हैं, इसकी जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है। ये सूत्र मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं थे, इसलिए उन्होंने नाम उजागर नहीं किया। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं लगा सका है कि इस पैनल में कौन-कौन मंत्री शामिल हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, बिजली मंत्रालय से जब इस पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया तो कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।