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Rupee Decline: डॉलर के मुकाबले 86.40 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर रुपया, इन वजहों से आ रही गिरावट

विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही भारी बिकवाली रुपये में गिरावट की बड़ी वजह है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- January 13, 2025 | 1:11 PM IST

आज 13 जनवरी को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपया 27 पैसे की गिरावट के साथ 86.40 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इससे पहले, डॉलर 86.12 पर खुला था, लेकिन दिन में रुपया कमजोर होकर इस रिकॉर्ड स्तर तक गिर गया। 10 जनवरी को यह 86.04 पर बंद हुआ था।

विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही भारी बिकवाली रुपये में गिरावट की प्रमुख वजह है। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव (जियो-पॉलिटिकल टेंशन) ने भी रुपये पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

रुपये की गिरावट का सीधा असर भारत के आयात पर पड़ेगा, क्योंकि अब विदेशों से चीजें मंगवाना महंगा हो जाएगा। इसका असर आम जनता की जेब पर भी देखने को मिलेगा।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के हेड ऑफ ट्रेजरी और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “रुपया 86.40 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है क्योंकि RBI ने हस्तक्षेप किया है। इसके पीछे डॉलर में मजबूती, हाई अमेरिकी यील्ड और बढ़ता डॉलर इंडेक्स बड़ा कारण है। बाइडन ने रूस पर और प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे ब्रेंट तेल की कीमतें 81 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चली गई हैं। रुपया जनवरी से पहले ही 86 के स्तर पर पहुंच चुका है और अब यह धीरे-धीरे 86.50 की ओर बढ़ रहा है। RBI इस कमजोरी को स्वीकार करेगा क्योंकि डॉलर की मांग बढ़ रही है और आपूर्ति घट रही है। हमें देखना होगा कि अगले सप्ताह में ट्रंप क्या कहते और करते हैं। यह अस्थिर समय है।”

बाइडन ने रूस पर लगाएं अतिरिक्त प्रतिबंध

वैश्विक अनिश्चितता को और बढ़ाते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें 81 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई हैं। तेल की  बढ़ी कीमतों ने भारत के व्यापार घाटे को और बढ़ा दिया है और विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि की है, जिससे रुपये पर और अधिक दबाव पड़ा है।

रुपया बाजार की उम्मीदों से पहले ही 86 के स्तर को पार कर चुका है और अब यह 86.50 के करीब जाने की संभावना है। RBI डॉलर की बढ़ती मांग और आपूर्ति में कमी के कारण रुपये में कुछ गिरावट की अनुमति दे सकता है, खासकर जब आयातक अपनी स्थिति को हेज कर रहे हैं।

आने वाला सप्ताह महत्वपूर्ण होगा, खासकर जब बाजार नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कामों और बयानों पर नजर रखेगा, जो वैश्विक बाजारों में और अधिक अस्थिरता ला सकते हैं।

First Published : January 13, 2025 | 12:10 PM IST