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World of Concrete India 2023: निर्माण क्षेत्र की नई तकनीक के साथ मुंबई में जमा होंगे उद्योग के महारथी

कार्यक्रम में 10,000 से अधिक औद्योगिक पेशेवर एवं 200 से अधिक विश्व स्तरीय प्रदर्शक आधुनिक प्रोडक्ट्स, तकनीकों एवं इनोवेशन को पेश करेंगे।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- September 29, 2023 | 8:23 PM IST

World of Concrete India 2023: केन्द्र सरकार की तरफ से निर्माण क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर खासा जोर दिया जा रहा है। सरकार के रुख को भांपते हुए उद्योग जगत भी ऐसी आधुनिक एवं स्थायी निर्माण तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करने की कोशिश में है जो कारोबार एवं धरती दोनों के लिए फायदेमंद हों। नई तकनीक और नीतियों को समझने के लिए 18 से 20 अक्टूबर को मुंबई में वर्ल्ड ऑफ कान्क्रीट इंडिया प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।

निर्माण क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों की हुई एक बैठक में फैसला लिया गया कि ऐसी आधुनिक एवं स्थायी निर्माण तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए, जो कारोबार एवं धरती दोनों के लिए फायदेमंद हों। प्राप्त जानकारी के मुताबिक कार्यक्रम में 10,000 से अधिक औद्योगिक पेशेवर एवं 200 से अधिक विश्व स्तरीय प्रदर्शक आधुनिक प्रोडक्ट्स, तकनीकों एवं इनोवेशन को पेश करेंगे। यह प्रदर्शनी आर्कीटेक्ट्स, इंजीनियरों, बिल्डरों, कॉन्ट्रैक्टर्स एवं प्रोजेक्ट मैनेजर्स के लिए ज्ञान के आदान-प्रदान हेतु मुख्य मंच की भूमिका निभाएगी। यहां कांक्रीट, मजदूरी, निर्माण, संबंधित उपकरणों पर रोशनी डाली जाएगी।

नई तकनीक कार्बन उत्सर्जन में 60 से 65 फीसदी तक कमी लाएगी

बीएमसी के रोड इंजीनियर एवं इंडियन कांक्रीट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन विशाल थोम्बेर ने कार्बन न्यूट्रेलिटी एवं स्थायी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देते हुए कहा कि हमारे आधुनिक डिजाइन, स्थायित्व के लिए मोनो पाइल्स का उपयोग सुनिश्चित करते हैं कि हमारी संरचनाएं सैकड़ों सालों तक चलती रहें।

विभिन्न उद्योगों के उप-उत्पादों के साथ हम कार्बन उत्सर्जन में 60 से 65 फीसदी तक कमी लाते हैं। कांक्रीट की सड़कें टिकाउ होती हैं, इन्हें कम रखरखाव की जरूरत होती है, इनमें जल्दी गड्ढे नहीं पड़ते। वर्ल्ड ऑफ कांक्रीट एक्सपो में हम ऐसी आधुनिक तकनीक प्रदर्शित करेंगे, जो निर्माण की गति को तेज कर, समय और लागत दोनों की बचत करती हैं।

डीकोन कम्प्लीट सोल्युशन्स के संस्थापक वी एन हेगडे ने कहा कि मुख्य क्षेत्रों जैसे उर्जा, सड़कों, शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर, रेलवे पर 111 लाख करोड़ के आउटले के साथ हमें जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे को भी जल्द से जल्द हल करने की जरूरत है। हमें पर्यावरणी समस्याओं को हल करना होगा, क्योंकि भारत 2.5 बिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साईड में योगदान देता है, जिसमें से 40 फीसदी योगदान सिर्फ निर्माण क्षेत्र का है, इसमें सीमेंट, स्टील और एलुमिनियम शामिल हैं।

निर्माण लागत में 10 से 20 फीसदी कमी का दावा

बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव अनिरुद्ध नखावा ने कहा कि हम कार्बन न्यूट्रेलिटी, स्थायी कॉन्क्रीट एवं टिकाउ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करते हुए निर्माण उद्योग की सामाजिक भूमिका को बढ़ाने के लिए समर्पित हैं। चुनौतियों के बीच हमें विकास और कौशल विकास की भी अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं। हमने निर्माण उद्योग में 40-50 फीसदी कौशल के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ भारत को कुशल श्रम का निर्यातक बनाने की योजनाएं बनाई हैं।

इन्फोर्मा मार्केट्स इन इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने कहा कि सरकार बुनियादी सुविधाओं और किफ़ायती आवास में निवेश कर रही है। अमृत और स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कई परियोजनाओं का पूरा होना हमारे सेक्टर की क्षमता को दर्शाता है। इसके अलावा अन्य कदम जैसे दूसरे एवं तीसरे स्तर के शहरों के विकास के लिए अरबन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट फंड, मुख्य परिवहन परियोजनाओं में 75,000 करोड़ रुपये का व्यय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देकर उद्योग जगत में प्रगति को प्रोत्साहित करेंगे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक नई तकनीक से निर्माण समय में 50 प्रतिशत की कमी, सीमेंट की 15-20 प्रतिशत की बचत, निर्माण अपशिष्ट में 20 प्रतिशत की कमी, ऊर्जा में 20 प्रतिशत की कमी, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 35 फीसदी कमी के साथ ही निर्माण लागत में 10 से 20 फीसदी कमी आने का दावा किया गया है। जिस पर उद्योग जगत के लोग सहमत भी दिखे।

First Published : September 29, 2023 | 8:23 PM IST