अमेरिका में भारतीय मूल के रिपब्लिकन से राष्ट्रपति पद उम्मीदवार के दावेदार विवेक रामास्वामी ने H-1B वीजा कार्यक्रम को ‘अनुबंधित दासता की स्थिति’ बताते हुए 2024 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद लॉटरी-आधारित प्रणाली को ‘खत्म’ करने और इसके स्थान पर योग्यता आधारित प्रवेश प्रणाली लाने का वादा किया है।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय H-1B वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को ऐसे पदों पर नियुक्ति का अधिकार देता है जिनमें तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों पेशेवरों की भर्ती करने के लिए इसी वीजा कार्यक्रम पर निर्भर हैं।
Also read: रूस की यात्रा पूरी करके Kim Jong Un स्वदेश रवाना, लेकिन बढ़ा दी दुनिया की चिंता
रामास्वामी ने खुद H-1B वीजा कार्यक्रम का 29 बार प्रयोग किया है। समाचार-पत्र ‘द पोलिटिको’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2023 में अब तक अमेरिका नागरिक एवं आव्रजन सेवा ने कर्मियों को H-1B वीजा कार्यक्रम के अंतर्गत भर्ती करने के लिए रामास्वामी की पूर्व कंपनी रॉइवेंट साइंस को 29 बार मंजूरी दी है। फिर भी, समाचार-पत्र ने 38 वर्षीय उद्यमी के हवाले से कहा, H-1B प्रणाली ‘इसमें शामिल सभी लोगों के लिए खराब है।’