facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

अमेरिका के नए नियम विदेशी छात्रों पर पड़ेंगे भारी

Last Updated- December 15, 2022 | 5:10 AM IST

अमेरिका के संघीय आव्रजन प्राधिकरण के नए दिशा-निर्देशों के तहत अगर विश्वविद्यालय अपनी कक्षाएं पूरी तरह ऑनलाइन कर देते हैं तो भारतीयों समेत लाखों विदेशी छात्रों को अमेरिका छोडऩा होगा। अमेरिका नहीं छोडऩे पर उन्हें वहां से निकाला भी जा सकता है। मौजूदा छात्रों का निर्वासन तो होगा ही, ऑनलाइन कक्षाओं वाले विश्वविद्यालयों में पढऩे के इच्छुक छात्रों को अमेरिका का वीजा भी नहीं दिया जाएगा।
अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) एजेंसी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘अमेरिकी विदेश मंत्रालय उन छात्रों को वीजा नहीं देगा, जिनके स्कूल या पाठ्यक्रम सर्दियों के समेस्टर में पूरी तरह ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं। सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा विभाग ऐसे छात्रों को अमेरिका में दाखिल भी नहीं होने देगा।’ इस सेमेस्टर की पढ़ाई सितंबर से दिसंबर के बीच होती है। हालांकि एजेंसी ने अमेरिका में पढ़ रहे छात्रों को उन स्कूलों में जाने का सुझाव भी दिया है, जहां कक्षाएं हमेशा की तरह परिसर में हो रही हैं। अमेरिकी सरकार के इस कदम से छात्रों के साथ ही उन विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों को भी बड़ा झटका लग सकता है, जो विदेशी छात्रों पर ज्यादा निर्भर हैं।
अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले ये छात्र एफ.-1 वीजा लेकर आते हैं। व्यावसायिक या तकनीकी पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाले छात्रों को एम-1 वीजा मिलता है। स्टूडेंट ऐंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 2017 में सबसे ज्यादा 4,78, 732 छात्र चीन से थे और भारत के 2,51,290 छात्र थे।
अमेरिका के नामी शिक्षाविदों और सांसदों ने इस निर्देश पर तल्ख प्रतिक्रिया दी है। इस फैसले का अमेरिका में पढ़ रहे हजारों भारतीय छात्रों पर बहुत खराब असर पड़ेगा। अमेरिकन काउंसिल ऑन एजूकेशन (एस) ने कहा कि इस फरमान से भ्रम पैदा होगा। एस के अध्यक्ष टेड मिशेल ने कहा, ‘हम अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की स्थिति और स्पष्ट किया जाना पसंद करेंगे।’ काउंसिल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष टेरी हर्टले ने भी कहा कि उन छात्रों को नियमों में छूट नहीं दिया जाना बड़ी चिंता है, जिनके स्कूल कोरोना महामारी के करण ऑनलाइन कक्षाएं चलाने पर मजबूर हुए हैं। यह भी साफ नहीं किया गया है कि छात्र इस परिस्थिति में स्कूल या विश्वविद्यालय छोड़ देता है मगर यात्रा प्रबिंधों की वजह से अपने देश नहीं लौट पाता है तो उसका क्या होगा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष लॉरेंस बैको ने कहा, ‘आईसीई द्वारा जारी दिशानिर्देशों से हमें फिक्र हो रही है।’
इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनैशनल एजूकेशन के मुताबिक अमेरिका में करीब 10 लाख विदेशी छात्र उच्च शिक्षा के लिए आते हैं। अमेरिकी सीनेटर एलिजाबेथ वारेन ने ट्वीट किया, ‘अंतरराष्ट्रीय छात्रों को महामारी के समय बाहर निकाला जा रहा है क्योंकि कॉलेज सामाजिक दूरी कायम रखने के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर रहे हैं। इससे छात्रों को परेशानी होगी।’ सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने भी इस दिशानिर्देश की निंदा की है।

First Published - July 7, 2020 | 10:57 PM IST

संबंधित पोस्ट