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ब्रिटेन से कारोबारी समझौते में सेवा क्षेत्र को छूट की उम्मीद

Last Updated- December 15, 2022 | 12:34 AM IST

ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित कारोबारी समझौते की बातचीत में भारत सेवा पेशेवरों की सीमा पार आवाजाही, भारतीयों के लिए वीजा नियमों में ढील व बाद के दौर में संभावित द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा चाहता है। भारत को यह भरोसा है कि उसकी ज्यादातर मांगें मान ली जाएंगी क्योंकि दोनों देश जल्द से जल्द बातचीत पूरी करना चाहते हैं।
ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से अपने कारोबारी संबंधों पर बातचीत तेज कर दी है और   पिछले साल समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता छोडऩे और अमेरिका व यूरोपीय संघ से बातचीत आगे न बढऩे के बाद भारत अब ब्रिटेन के साथ कारोबारी समझौता करने को तत्पर है।  अधिकारियों ने कहा कि सूचना तकनीक और उससे संबंधित पेशेवर सेवाओं का भारत से ब्रिटेन को बड़े पैमाने पर निर्यात होता है और इस उद्योग के लिए ब्रिटेन दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, ऐसे में सेवा छूट हासिल करने को लेकर भारत की स्थिति मजबूत है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा, ‘भारत नैचुरल पर्सन जैसे स्वतंत्र पेशेवर (जिन्हें मोड 4 सेवा कारोबार कहा जाता है) और मोड 1 दोनों की सीमा पार सेवाओं की आपूर्ति को लेकर  चर्चा पर ज्यादा जोर दे रहा है।’
अमेरिका एच-1बी वीजा नीति को सीमित कर रहा है, ऐसे में भारत चाहता है कि ब्रिटेन भारत के सेवा पेशेवरों को विकल्प मुहैया कराए। एक अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन इस समय अपनी वीजा नीति सरल कर रहा है, जिससे कि ज्यादा शिक्षित कामगारों को आकर्षित किया जा सके, ऐसे में भारत एक स्वाभाविक विकल्प है। दीर्घावधि के हिसाब से द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौता होने से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि सामाजिक सुरक्षा दोहरे भुगतान का मसला नहीं है।
संभावित समझौते का बुनियादी ढांचा ब्रिटेन भारत संयुक्त आर्थिक व्यापार समिति (जेईटीसीओ) इस साल जुलाई के अंत में तैयार किया था। इस निकाय ने खाद्य एवं पेय,  जीवन विज्ञान और स्वास्थ्य व डिजिटल और डेटा सेवाओं को  बातचीत के 3 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रखा था।
ब्रिटेन बाजार  तक पहुंच के मसले पर जोर दे रहा है और ब्रिटेन के महंगे सामान के लिए बाजार तक ज्यादा पहुंच
चाहता है।  शुल्क के मोर्चे पर भारत ने सुझाव दिया है कि दोनों पक्ष जल्द ही 40-50 वस्तुओं की सूची को साझा करेंगे, जिन पर वे शुल्क हटाने को इच्छुक हैं। ब्रिटेन के शुरुआती रुझान से पता चलता है कि लंदन अपने प्रमुख उत्पादों जैसे स्कॉच व्हिस्की, ऑटोमोबाइल, मेडिकल उपकरणों व इंजीनियरिंग उत्पादों पर कम शुल्क चाहता है।  ब्रिटेन अपने अल्कोहल उत्पादों पर ज्यादा जोर दे रहा है क्योंकि अक्टूबर 2019 से अमेरिका ने ब्रिटेन सहित यूरोपीय संघ से सिंगल माल्ट स्कॉच के आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क बढ़ा दिया है।
इस साल अगस्त की शुरुआत में वाशिंगटन डीसी ने बढ़ोतरी की अवधि बढ़ा दी थी। ब्रिटिश सरकार अब ब्रेक्जट के बाद डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन से सख्त मोलभाव कर रही है और बातचीत अभी अटकी हुई है।
इस मौके पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की ओर से एक सुझाव आया है कि अल्कोहल पर कम शुल्क की पेशकश कर  ब्रिटेन के साथ अवसर का लाभ उठाया जा सकता है। बहरहाल ब्रिटेन जिन अन्य वस्तुओं पर कम शुल्क चाहता है, उस पर बातचीत ज्यादा कठिन हो सकती है।

First Published - September 27, 2020 | 11:33 PM IST

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