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भारत ने पेश किया हरित ग्रिड

Last Updated- December 11, 2022 | 11:47 PM IST

भारत ने वैश्विक जलवायु सम्मेलन सीओपी26 में बातचीत के दूसरे दिन अपना महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘वन सन, वन वल्र्ड, वन ग्रिड’ (ओएसओडब्ल्यूओजी) पेश किया। इस परियोजना की शुरुआत ब्रिटेन के हरित ग्रिड पहल (जीजीआई) के साथ की गई है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त रूप से वन सन डिक्लेयरेशन पेश किया। साथ ही ‘मंत्रिस्तरीय संचालन समूह’ की घोषणा भी की गई है। संचालन समूह में फ्रांस, भारत, ब्रिटेन और अमेरिका शाामल होंगे और साथ ही इसमें अफ्रीका, खाड़ी देशों, लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
भारत की ओर से ओएसओडब्ल्यूओजी का नेतृत्व इंटरनैशनल सोलर अलायंस (आईएसए) करेगा। भारत में पिछले महीने हुई आईएसए की चौथी बैठक में राजनीतिक घोषणा ‘वन सन डिक्लेयरेशन’ को 80 सदस्य देशों ने समर्थन दिया था, जिससे कि ग्लासगो में सीओपी26 के दौरान जीजीआई-ओएसओडब्ल्यूओजी पेश किया जा सके।
आईएसए की चौथी बैठक में ओएसओडब्ल्यूओजी पहल प्रस्तुत किया गया था और भारत व ब्रिटेन ने हरित ग्रिड पहल (जीजीआई) और ओएसओडब्ल्यूओजी का विलय कर जीजीआई-ओएसओडब्ल्यूओजी बनाने की घोषणा की थी, जो द्विपक्षीय सहयोग का हिस्सा है।
सीओपी26 यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी ने छोटे द्वीपीय देशों के लिए लचीली आधारभूत संरचना (आईआरआईएस) की भी शुररुआत की। उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ दशकों ने साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रकोप से कोई भी देश नहीं बच पाया है। चाहे वे विकसित देश हों या प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध देश, यह सभी के लिए एक बड़ा खतरा है।’
मोदी ने कहा कि छोटे द्वीपीय विकासशील देशों या एसआईडीएस को जलवायु परिवर्तन से सबसे बड़े खतरे का सामना करना पड़ता है तथा यह उनके लिए जीवन और मौत मामला है तथा उनके अस्तित्व के लिए एक चुनौती है। उन्होंने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली आपदाएं उनके लिए सचमुच तबाही ला सकती हैं। ऐसे देशों में, जलवायु परिवर्तन न केवल लोगों के जीवन की सुरक्षा के लिए बल्कि उनकी अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी एक प्रमुख चुनौती है।’
उन्होंने कहा कि ऐसे देश पर्यटन पर निर्भर हैं, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण पर्यटक भी वहां जाने से डरते हैं।  मोदी ने कहा कि एसआईडीएस देश सदियों से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते आए हैं और उन्हें मालूम है कि प्रकृति के प्राकृतिक चक्रों से कैसे सामंजस्य बिठाना है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन पिछले कई दशकों के स्वार्थी आचरण के कारण प्रकृति का अप्राकृतिक रूप सामने आया है और इसका परिणाम आज निर्दाेष छोटे द्वीपीय देश भुगत रहे हैं।’
प्रधानमंत्री ने इस पहल की खातिर आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) को बधाई दी और कहा कि उनके लिए सीडीआरआई या आईआरआईएस केवल बुनियादी ढांचे नहीं हैं बल्कि यह मानव कल्याण की बहुत संवेदनशील जिम्मेदारी का हिस्सा हैं।
आईआरआईएस एसआईडीएस के साथ मिलकर काम करेगा और इन देशों में विकास के लिए बुनियादी ढांचा को मजबूत करने के लिए अवसर की तलाश करेगा।
मोदी ने कहा कि भारत इस नई परियोजना को पूरा समर्थन करेगा और सीडीआरआई व अन्य साझेदार देशों और संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर इसकी सफलता के लिए काम करेगा।
मोदी ने कहा कि आईआरआईएस के माध्यम से छोटे द्वीपों के लिए तकनीक, वित्त्त और जरूरी सूचनाएं जुटाना आसान होगा। इससे छोटे द्वीपीय देशों में गुणवत्तायुक्त बुनियादी ढांचा तैयार होगा और लोगों की जिंदगी व आजीवका के मामले में लाभदायक होगा।

First Published - November 2, 2021 | 11:16 PM IST

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