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भारत-अमेरिका के संबंध रहेंगे मजबूत!

Last Updated- December 14, 2022 | 9:43 PM IST

अमेरिका में मंगलवार को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हों, भारत के साथ अमेरिका के रणनीतिक संबंधों की वर्तमान गति बरकरार रहने की उम्मीद है। यह संकेत नीतिगत दस्तावेजों और राष्ट्रपति पद के लिए दोनों प्रत्याशियों के प्रचार के दौरान की गई टिप्पणियों से मिलता है।
डॉनल्ड ट्रंप राष्ट्रपति के तौर पर अपने पहले कार्यकाल में व्हाइट हाउस में भारत के सबसे अच्छे दोस्त के रूप में उभरे और इस संबंध को एक नए स्तर पर ले गए। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप की मित्रता जगजाहिर है। दोनों नेताओं की यह मित्रता उन रैलियों में परिलक्षित हुई जिन्हें उन्होंने एक वर्ष से कम समय में अमेरिका और भारत में संबोधित किया। ट्रंप ने मोदी के साथ बने संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि उन्हें भारत का अच्छा समर्थन हासिल है। वहीं अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति एवं डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन के पास तीन दशक से अधिक समय के लिए डेलावेयर से सीनेटर के रूप में और फिर बराक ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उप-राष्ट्रपति के रूप में आठ वर्षों के दौरान मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों की वकालत करने एक मजबूत रिकॉर्ड है।
रिपब्लिकन प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के पारित होने और द्विपक्षीय व्यापार में 500 अरब अमरीकी डॉलर का लक्ष्य निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने से लेकर, बाइडेन के भारतीय नेतृत्व के साथ मजबूत संबंध हैं और उनके करीबियों में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी हैं। बाइडेन ने जुलाई में एक फंडरेजर में कहा था कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं।    बाइडेन ने कहा था कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते के लिए कांग्रेस की मंजूरी लेने में भूमिका निभाई थी।
3 नवंबर के बाद भारत-अमेरिका संबंध के लिए आधार हाल में नई दिल्ली में संपन्न 2 प्लस 2 मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान बना था। मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान और बाद में दोनों देशों के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि संबंधों को द्विदलीय समर्थन प्राप्त है और यह इस आधार पर नहीं है कि कौन सी पार्टी व्हाइट हाउस पर में आती है या किसका प्रतिनिधि सभा और सीनेट में बहुमत है।
270 का गणितीय खेल
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में 270 के आंकड़े की अहम भूमिका है। असल में, यह एक जादुई संख्या और गणितीय खेल है जो निर्वाचक मंडल के रूप में तय करता है कि अगले चार साल तक व्हाइट हाउस में कौन बैठेगा। अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचक मंडल के कम से कम 270 मतों की आवश्यकता होती है। यह देश के 50 राज्यों के 538 सदस्यीय निर्वाचक मंडल में बहुमत का जादुई आंकड़ा है। प्रत्येक राज्य को अलग-अलग संख्या में निर्वाचक मंडल मत आवंटित हैं जो इस आधार पर तय किए गए हैं कि प्रतिनिधि सभा में उसके कितने सदस्य हैं।  एजेंसियां

First Published - November 4, 2020 | 1:10 AM IST

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