दिल्ली सरकार को अंदेशा है कि जुलाई अंत तक शहर की कुल आबादी के करीब 2.8 फीसदी लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं और इनकी संख्या 5.50 लाख तक पहुंच सकती है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज कहा कि 5.5 लाख कोविड मामले होने पर दिल्ली में करीब 80,000 बिस्तर (बेड) की जरूरत होगी।
अनुमान के अनुसार दिल्ली में 30 जून तक करीब एक लाख पॉजिटिव मामले हो सकते हैं और इसके लिए 15,000 बिस्तरों की जरूरत होगी, वहीं 15 जुलाई तक 2.25 लाख मामले आ सकते हैं और 33,000 बिस्तरों की आवश्यकता पड़ेगी। यह अनुमान कोरोना संक्रमितों की संख्या 12.6 दिन में दोगुनी होने के आधार पर लगाया गया है। सिसोदिया ने कहा, ‘केंद्र ने दिल्ली में अभी संक्रमण का सामुदायिक प्रसार होने की आशंका से इनकार किया है।’
राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना संक्रमितों की संख्या मंगलवार तक बढ़कर 30,000 के करीब पहुंच गई, वहीं अब तक 874 लोगों की मौत हुई है। राज्य सरकार के अनुसार दिल्ली में कोविड मरीजों के लिए 8,000 से अधिक बिस्तर उपलब्ध हैं लेकिन सच्चाई यह है कि मरीजों को कई अस्पतालों में बिस्तर के लिए अक्सर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
दिल्ली के एक छोटे निजी अस्पताल ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि फिलहाल उसके पास बिस्तर पाने के लिए 45 कोविड मरीजों के अनुरोध लंबित हैं। एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, ‘कई अपेक्षाकृत कम गंभीर मरीज भी अस्पताल में भर्ती हो गए हैं, वहीं वेंटिलेटर और आईसीयू का प्रबंधन करने वाले प्रशिक्षित कर्मचारियों की भी बड़ी किल्लत है।’
दिल्ली सरकार ने अस्पतालों को निर्देश दिया है कि मामूली लक्षणों वाले मरीजों को भर्ती न करें और उन्हें घर पर पृथकवास में रहने की सलाह दें। राज्य सरकार मामले बढऩे पर अतिरिक्त बिस्तर के लिए होटल के कमरे भी लेने पर विचार कर रही है।
मुुंबई में संक्रमित मरीजों की संख्या 50,000 के पार पहुंच गई है। अगर इसी अनुपात में कोविड के मामले आते रहे तो जुलाई अंत तक मुंबई में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या दस गुना तक बढ़ सकती है।
आईसीयू बिस्तरों की बात करें तो मुंबई के अस्पतालों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मुंबई में तकरीबन 1,100 आईसीयू बिस्तर हैं, जिनमें से 1,083 पर मरीज भर्ती हैं। इसी तरह शहर के सभी अस्पतालों को मिलाकर कुल करीब 460 वेंटिलेटर हैं, जिनमें से 430 पर मरीज हैं।
कोविड अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में सामान्य बिस्तरों की बात करें तो मुंबई में करीब 10,000 बिस्तर हैं। इन अस्पतालों में कम से लेकर गंभीर मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इसके अलावा कोविड केयर सेंटर्स भी हैं जहां मामूली या बिना लक्षण तथा संपर्क में आए उच्च जोखिम वाले लोगों को रखा जाता है।
अगर भारत में इन शहरों में संक्रमितों के अनुपात में आबादी प्रभावित होती है तो जुलाई के अंत तक 3.5 करोड़ से ज्यादा संक्रमित सामने आ सकते हैं। हालांकि वर्तमान में देश भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2,66,598 है। उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार अस्पतालों में नर्सिंग कर्मचारियों की भारी किल्लत है और मौजूदा परिस्थितियों में नई भर्तियां करना भी बड़ी चुनौती होगी। फिलहाल जरूरत का करीब 70 फीसदी कर्मचारी उपलब्ध हैं और अगर मामले बढ़ते हैं तो यह 50 फीसदी रह जाएगी। मुंबई के पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल के मुख्य कार्याधिकारी गौतम खन्ना ने कहा कि कई नर्सें अपने गृह राज्य चली गई हैं। उन्होंने कहा कि नर्सों, हाउसकीपिंग स्टॉफ और चिकित्सकों की भी कमी है। दिल्ली में कोविड-19 के मरीजों का इलाज कर रही एक निजी अस्पताल शृंखला के प्रबंध निदेशक का मानना है कि दिल्ली में समस्या की एक वजह मरीजों का सरकारी के बजाय निजी अस्पतालों में आना है। उन्होंने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘इस समस्या को आसानी से हल नहीं किया जा सकता। दिल्ली में करीब 1,000 निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम और करीब 40 से 50 सरकारी अस्पताल हैं। अगर सरकार राजधानी में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में भरोसा पैदा नहीं करेगी तो यह महामारी से निपटने में एक बड़ी समस्या होगी।’ उन्होंने कहा कि उनके कोविड-19 अस्पताल में करीब 70 फीसदी बेड खाली पड़े हैं।
उन्होंने कहा, ‘एक अन्य समस्या यह है कि जिन लोगों में मामूली लक्षण हैं, वे अस्पताल में भर्ती रहना चाहते हैं। वे निजी अस्पतालों को वरीयता दे रहे हैं। सरकार को बेड को लेकर भ्रम फैलाने के बजाय लोगों को शिक्षित करने पर ध्यान देने की जरूरत है।’
मुंबई को भी ऐसी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां एक बड़े निजी अस्पताल के प्रमुख ने कहा कि दो तरह का दबाव है। पहला कर्मचारियों की कमी का है और दूसरा यह है कि मामूली लक्षणों वाले मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती होना चाहते हैं। इस वजह से ही बीएमसी ने अपने अधिकारियों को प्रत्येक अस्पताल में बेड प्रबंधन के लिए तैनात किया है। एक सरकारी सूत्र ने कहा, ‘इसके पीछे मकसद मरीजों को जल्द से जल्द डिस्चार्ज करना है। हर किसी को अस्पताल में 14 दिन रुकने की जरूरत नहीं है। इससे ज्यादा गंभीर मरीजों के लिए बेड खाली होंगे।’
बीएमसी नए अस्पताल भवनों में ज्यादा इंटेंसिव केयर बेड रखने पर काम कर रही है, जहां आम तौर पर बेड के साथ ऑक्सिजन के पोर्ट भी होंगे। गोरेगांव, मुलुंड और बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स के अस्पतालों में जून के मध्य तक इंटेंसिव केयर बेड और बढ़ाए जाएंगे। दक्षिणी मुंबई के एक सरकारी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर ने कहा कि शहर के मध्य में स्थित सेवन हिल्स अस्पताल कोरोना के इलाज के लिए है, मगर वहां अभी बहुत अधिक इंटेंसिव केयर या वेंटिलेटर की सुविधा वाले बेड नहीं हैं। इस 500 बेड के अस्पताल में 50 से भी कम आईसीयू बेड हैं।