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ऑफ-कैंपस नौकरियों की ओर चली आईं कंपनियां

Last Updated- December 15, 2022 | 4:54 AM IST

इस साल नए इंजीनियरिंग स्नातकों को कंपनी में शामिल करने से जुड़ी अनिश्चितताओं के चलते कई आईटी कंपनियों ने कैंपस से बाहर नौकरियां देने का विकल्प चुना है। कंपनियों के अनुसार, यह कदम जरूरी हो गया है क्योंकि इस साल इंजीनियरिंग कॉलेज अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित कराने में सक्षम नहीं हैं और कंपनियों को यह नहीं पता कि क्या वे इस वित्त वर्ष में कॉलेजों से निकले छात्रों को नौकरी पर रख सकेंगी।  कैपजेमिनाई इंडिया में मुख्य परिचालन अधिकारी अश्विनी यार्डी ने कहा, ‘हमने छठे सेमेस्टर में छात्रों को नौकरी प्रस्ताव दिए जिससे वे आठवें सेमेस्टर को पूरा करने के बाद नौकरी पर आ सकें। जुलाई में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाला बैच-2020 बीच में अटक गया है जिससे उद्योग के सामने समस्याएं पैदा हो रही हैं। इसलिए हम ऑफ-कैंपस हायरिंग कर रहे हैं, भले ही इसकी संख्या फिलहाल कम है।’ देश में नए स्नातकों को नौकरियां देने में प्रौद्योगिकी उद्योग की सबसे अधिक हिस्सेदारी है। आईटी एवं बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (बीपीएम) सर्विसेज कंपनियां हर साल लगभग 500,000 नए स्नातकों को नौकरियां देती हैं। इस वर्ष यह संख्या कम हो जाएगी क्योंकि कोविड-19 महामारी ने शैक्षिक प्रक्रिया को बाधित किया है और कॉलेज अपनी अंतिम सेमेस्टर परीक्षाओं को पूरा नहीं कर पाए हैं।
परंपरागत रूप से, ऑफ-कैंपस हायरिंग में एक साल में कुल नौकरियों का लगभग 5 फीसदी हिस्सा होता है। टीमलीज डिजिटल में विशेष स्टाफिंग के प्रमुख सुनील सी. कहते हैं, ‘माइक्रोसॉफ्ट, एक्सेंचर, एचपी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, माइंडट्री और टेक महिंद्रा जैसी अधिकांश प्रौद्योगिकी फर्मों ने ऑफ-कैंपस हायरिंग शुरू कर दी है। हालांकि यह ऐसे छात्रों के लिए बड़ी राहत होगी, जिन्हें कैंपस प्लेसमेंट प्रक्रिया में नौकरी नहीं मिल सकी थी।’
आमतौर पर ऑफ-कैंपस प्लेसमेंट को खाली रह गई नौकरियों को भरने की प्रक्रिया के तौर पर आयोजित किया जाता है जिससे किसी परियोजना में कनिष्ठ तथा वरिष्ठ कर्मियों का सही अनुपात बनाते हुए लागत प्रबंधन किया जा सके। इसी तरह, कंपनियां ऐसे समय में ऑफ-कैंपस हायरिंग करती हैं, जब उन्हें किसी समूह में नए कर्मियों की पर्याप्त आवश्यकता की कमी दिखे और तत्काल हायरिंग आवश्यक हो। सीआईईएल एचआर सर्विसेज के निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा, ‘हाल के महीनों में ऑफ-कैंपस हायरिंग में थोड़ी तेजी आई है, हालांकि अब तक की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में कम है। हर कंपनी ऑफ-कैंपस हायरिंग नहीं कर रही है।’ एक तरफ आईटी कंपनियों ने कनिष्ठ-वरिष्ठ कर्मी अनुपात को बनाए रखने के लिए ऑफ-कैंपस हायरिंग का सहारा लेना शुरू कर दिया है तो वहीं इंजीनियरिंग कॉलेजों ने नियोक्ताओं से चयनित हो चुके छात्रों को नौकरी पर रखने के लिए समयविस्तार का अनुरोध किया है।  उदाहरण के लिए, बेंगलूरु में आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने चयनित हो चुके छात्रों को नौकरी पर रखने के लिए कंपनियों को अगस्त तक का समय विस्तार देने का अनुरोध किया है। कॉलेज के प्रिंसिपल के एन सुब्रमण्या ने कहा, ‘हमारे कॉलेज में केवल एक प्रोजेक्ट रूका हुआ है। जैसे ही अंतिम परीक्षाएं कराने की अनुमति मिलती है, इस प्रक्रिया को पूरा करने में केवल एक सप्ताह का समय लगेगा।’
एक अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (वीटीयू) सितंबर के अंत तक अपनी अंतिम परीक्षा आयोजित करा सकता है। संस्थान में निदेशक (केंद्रीकृत प्लेसमेंट सेल) विनय मैथ्यू कहते हैं, ‘कंपनियां छात्रों का स्नातक पूरा होने को लेकर पूछताछ कर रही हैं। कुछ कंपनियां अगस्त से छात्रों को नौकरी पर बुलाना चाहती हैं लेकिन अब यह अक्टूबर में ही संभव है क्योंकि परिणाम अक्टूबर के पहले या दूसरे सप्ताह तक घोषित किए जाएंगे।’

First Published - July 13, 2020 | 11:38 PM IST

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