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श्रमिकों को 15 दिन में घर पहुंचाने की जरूरत

Last Updated- December 15, 2022 | 8:08 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह रास्ते में फंसे हुए प्रवासी कामगारों को उनके पैतृक स्थानों तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्यों को 15 दिन का वक्त देने की सोच रहा है। न्यायालय ने कहा कि इन कामगारों के पंजीकरण और रोजगार के अवसरों सहित सारे मसले पर 9 जून को आदेश सुनाएगा। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह के पीठ ने पलायन कर रहे प्रवासी कामगारों की दयनीय स्थिति का स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की। पीठ ने इस दौरान कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे इन श्रमिकों की पीड़ा कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों का भी संज्ञान लिया।
पीठ ने कहा कि वह इन प्रवासी कामगारों को पहुंचाने और उनके पंजीकरण तथा उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की व्यवस्था के लिए केंद्र और सभी राज्यों को 15 दिन का समय देने की सोच रही है। इस बीच, केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इन प्रवासी श्रमिकों को उनके पैतृक स्थान तक पहुंचाने के लिए 3 जून तक 4,200 से अधिक ‘विशेष श्रमिक ट्रेन’ चलाई गई हैं। मेहता ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया है और अधिकांश ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार में खत्म हुई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें बता सकती हैं कि अभी और कितने प्रवासी कामगारों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है और इसके लिए कितनी रेलगाडिय़ों की जरूरत होगी। सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को भरोसा दिलाया कि संबंधित राज्यों को आवश्यक रेलगाडिय़ां उपलब्ध कराई जा रही हैं और भविष्य में भी अगर मांग की गई तो उन्हें मुहैया कराया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने 28 मई को निर्देश दिया था कि अपने पैतृक स्थान जाने के इच्छुक सभी प्रवासी कामगारों से ट्रेन या बसों का किराया नहीं लिया जाए। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि रास्ते में फंसे श्रमिकों को संबंधित प्राधिकारी नि:शुल्क भोजन और पानी मुहैया कराएंगे।

First Published - June 5, 2020 | 11:22 PM IST

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