सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में बुधवार को कहा कि ऋण योजनाओं को बंद करने से पहले अधिकांश शेयरधारकों की सहमति जरूरी होगी और अगर न्यासी नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो बाजार नियामक सेबी के पास हस्तक्षेप करने का अधिकार होगा।
शीर्ष अदालत का यह फैसला फ्रैंकलिन टेम्पलटन द्वारा दायर अपील सहित इस संबंध में दायर अन्य याचिकाओं पर आया। फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कंपनी को अपनी छह म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं को साधारण बहुमत से अपने निवेशकों की सहमति प्राप्त किए बिना बंद करने से रोक दिया गया था।
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के पीठ ने इस मुद्दे पर नियमों और विनियमों की व्या या के आधार पर फैसला दिया, न कि फ्रैंकलिन टेम्पलटन की छह म्युचुअल फंड योजनाओं के समापन से संबंधित मामले के तथ्यों के संबंध में।
शीर्ष अदालत ने कहा ‘हमने वैधानिक प्रावधानों की व्याख्या की है। हम ऋण योजनाओं को बंद करने के लिए अधिकांश शेयरधारकों की सहमति पर उच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से सहमत हैं।’ अदालत ने कहा कि यह आवश्यकता नोटिस के प्रकाशन के बाद होगी।
नियमों की वैधता को बरकरार रखते हुए न्यायमूर्ति खन्ना ने पीठ द्वारा लिए गए फैसले को सुनाते हुए कहा कि यदि न्यासी इसका उल्लंघन करते हैं, तो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) मामले में दखल दे सकता है।
पीठ ने कहा ‘हमने तथ्यों की बिल्कुल भी जांच नहीं की है। उन्हें खुला छोड़ दिया जाएगा।’ इसके साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि तथ्यों के संबंध में फर्म और अन्य की याचिका पर निर्णय के लिए अक्टूबर में सुनवाई की जाएगी। पीठ ने कहा ‘यह मूल रूप से एक सैद्धांतिक व्याख्या है। हमने बहुत-सी चीजों को नहीं छुआ है।’
शीर्ष अदालत ने 12 फरवरी को म्युचुअल फंड योजनाओं को बंद करने के लिए ई-वोटिंग प्रक्रिया की वैधता को बरकरार रखा था और कहा था कि यूनिटधारकों को धन का वितरण जारी रहेगा। इससे पहले 2 फरवरी को अदालत ने यूनिटधारकों को 9,122 करोड़ रुपये का वितरण करने का आदेश दिया था।
अदालत ने कहा था कि परिसंपत्ति में यूनिटधारकों के ब्याज के अनुपात में धन का वितरण भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) म्यूचुअल फंड द्वारा किया जाएगा।
इन योजनाओं के समापन के संबंध में ई-वोटिंग पिछले साल दिसंबर के अंतिम सप्ताह में हुई थी और इसे अधिकांश यूनिट धारकों द्वारा मंजूर किया गया है।
ये छह योजनाएं हैं – फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्रुअल फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड।