facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

‘अंकों के नॉर्मलाइजेशन के लिए हो समान नीति’

इससे देश भर में प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में भाग लेने वाले लाखों अभ्यार्थियों को लाभ हो सकता है।

Last Updated- June 29, 2025 | 10:53 PM IST
Assam exam
प्रतीकात्मक तस्वीर

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के चेयरमैन राजीव लक्ष्मण करंदीकर ने सरकार से परीक्षाओं के नॉर्मलाइजेशन और नेगेटिव मार्किंग के लिए एक समान नीति लाने का अनुरोध किया है। इससे देश भर में प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में भाग लेने वाले लाखों अभ्यार्थियों को लाभ हो सकता है।

रविवार को 19वें राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के मौके पर बोलते हुए करंदीकर ने कहा, ‘एक समूह बनाने के लिए समग्र कवायद की जानी चाहिए, जिससे सभी हिस्सेदार एक मंच पर आएंगे और इस (समस्या) पर एक विचार बन सगेगा और इस (नॉर्मलाइजेशन) पर एक नीति बन सकेगी। यह सांख्यिकी से जुड़ा मसला है और इसका उचित तरीके से समाधान किया जाना चाहिए।’

अंकों का नॉर्मलाइजेशन तब करते हैं जब कोई परीक्षा कई पालियों में आयोजित कराई जाती है और किसी पाली में प्रश्नपत्र ज्यादा कठिन होता है। तब सभी के लिए कठिनाई का स्तर समान बनाने के लिए अंट ठीक किए जाते हैं। करंदीकर ने कहा, ‘लाखों अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होते हैं। ऐसे में परंपरागत तरीके से एक बार में परीक्षा कराना संभव नहीं होता। ऐसे में कंप्यूटर पर परीक्षा लेना मानक बन गया है और यह कई दिन और कई सत्र में चलता है। इसका मतलब प्रश्न पत्रों के कठिन होने का स्तर अलग होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि इसकी तुलना कैसे करें। इस मामले में हर एजेंसी का अपना अलग फॉर्मूला होता है। इससे लोगों में असंतोष होता है और याचिकाएं दाखिल हो जाती हैं। ऐसा कई साल से चल रहा है।’ करंदीकर ने कहा कि इसके लिए अच्छा फॉर्मूला बनाकर याचिकाओं में कमी लाई जा सकती है।

इसके अलावा करंदीकर ने ऑनलाइन कॉर्पोरेट वोटिंग के लिए वोटों को मान्य करने हेतु यूजर वेरिफिएबल डिजिटल ऑडिट ट्रेल (यूवीडीएटी) मैकेनिज्म का प्रस्ताव रखा तथा इस मुद्दे के समाधान के लिए एक समर्पित पैनल के गठन की सिफारिश की है।

First Published - June 29, 2025 | 10:53 PM IST

संबंधित पोस्ट